Shri Rammandir Kavya

जप ले राम का नाम

महिमा उस अविनाशी की जो बनाए बिगड़े काम घट-घट में क्या ढूंढे भक्तों, जप ले राम का नाम। जो मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाये, भगतों वो भगवान देव भी जिनकी पूजा करते फिर भी थे इंसान । वचन के खातिर वैभव त्यागा, रखा पिता का मान जपले उनका नाम रे बन्दे मिटे सभी अज्ञान। जिसके चरण कमल […]

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राम-राम

हिंदू को, हिंदुत्व में, जीना तो सिखा नहीं पाए हो तुम उनके लिए धरा पर राम ले आए हो । शौक पाल लिया है, जिन्होंने पराधीनता में जीने कातुम कहते हो, उनके लिए धरा पर राम आए हैं । वह गुलाम रहने की, आदत नहीं बदल पाए हैं तुम उनके लिए सुग्रीव के मददगार, राम

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कितना सुंदर मिला सौभाग्य

कितना सुंदर मिला सौभाग्य,मानो ये जीवन तर हो गया।केवट को एक दिन जब,रघुवर का दर्शन हो गया।जीवन भर की तपस्या,हो गई आज सफल उसकी।मन हुआ पुलकित प्रसन्न,जीवन धन्य हो गया।केवट को एक दिन जब,रघुवर का दर्शन हो गया।वो नौका भी कितनी पवित्र हो गई,जिस पर राम के कमल चरणों का स्पर्श हो गया।ऐसा सुंदर, मनोरम

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राम विवाह

दो नैन रघुनाथ के दो नैन जानकी के ऐसे समाये चार नैन एक हो गए सखियां भी घूर रही लक्ष्मण जी लखा रहे दुनिया को मोहने वाले आज मोहित हो गए फूलों को चुन टोकरी में डाल रहे दूजे क्षण निकाल रहेविस्मित हुए से खड़े जानकी को निहार रहे नैना सिया में खोए अधर मुस्काए

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श्री राम बनवास

श्री राम रूप मुनि का धरबन निकल रहे हैं। देखो अवध के राजाबन बन भटक रहे हैं।। महलों की राजरानीसीता चली है संग में।पैरों में उनके कांटेपग पग पे चुभ रहे हैं।। लक्ष्मण जी बन के सेवकश्री राम के चले हैं।महलों में उर्मिला केअश्रु छलक रहे हैं।। दशरथ जी होके व्याकुलश्री राम को पुकारें।मेरे राम

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!! अयोध्या पति की सेवा में !!

श्री रामचंद्र रंग भीना मेरा मन हर लीना जी। मेरा मन हर लीना जी मेरा मन हर लीना जी। सिर पर स्वर्ण मुकुट है भारी, शोभा मुख मंडल की न्यारी। तन पर इत्र लगायो है हिना, मेरा मन हर लीना जी।। मूरत श्याम रंग की शोभित, दर्शन कर सब होते मोहित। जामा पीत रंग का

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पावन बेला

आई है पावन बेला, मंगल है यह घड़ी, चहुँ ओर से सज गई ,देखो अयोध्या नगरी । गर्भ गुफा मे विराजेंगे, इसी माह प्यारे राम लला, प्रभु के मनोहर बाल स्वरूप के, दर्शन की ललक है सबको लगी। होगा मंगलगान ,बजेंगे डोल खड़़ताल, आरती, धूप, दीप ,शंखनाद की लगेगी छड़ी। प्रभु राम की कृपा, बरसेगी

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राधिका छंद में एक कृति माँ शारदे को समर्पित

(लय–दुख हरो द्वारिका नाथ, शरण मै तेरी) ********प्रभु राम लीन्ह अवतार , कोशला धामा।हरि रखा चतुर्भुज रूप,सोह अभिरामा।।ब्रम्हाण्ड कोटि प्रति रोम , कहे श्रुति वेदा। साधक सम साधन साध्य, न कोई भेदा।। जब लखा अलौकिक रूप, मात अनुमाना। है झूँठ रहे मम गर्भ , राज सब जाना ।।यह हरि इच्छा मन मानि ,सहज सुखु माना।प्रभु

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प्रभु सियाराम वन से अवध आगमन पर

सियाराम लखन घर आई रे,अवध में बंटत बधाई रे।जनम जनम के पुण्य उदित भए,पूरण हुई सकलाई रे।हर्ष निनाद चहुं दिश गुंजित,जीव जगत हर्षाई रे।। मंगल चौक पुरावो री सजनी,जगर मगर दीपावली रजनी।वंदनवार पताका लड़ियां,झालर दीप जलें फुलझडियां।मुक्ता कलश रंगोली घर घर,अंगना दीप जलाई रे।।सियाराम लखन घर आई रे। ढ़पली ढ़ोल मृदंगा बाजें,मंगल कीर्तन गायन गाजें।ढ़ोलक

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हम सब ने मन के मन्दिर में दीप जलाए हैं

हम सब ने मन के मन्दिर में दीप जलाए हैं आज अयोध्या नाथ अयोध्या वापस आए हैं हम——- कितने हर्षित नादिया , सूरज, चाँद, सितारे हैं फूलों ने खुद परम पूज्य के पाओं पखारे हैं कलियों ने भी मधुरिम मधुरिम गीत सुनाए हैं आज —— कौशल्या के दशरथ के वो राज दुलारे हैं भक्त जनों

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