!! अयोध्या पति की सेवा में !!

श्री रामचंद्र रंग भीना मेरा मन हर लीना जी।
मेरा मन हर लीना जी मेरा मन हर लीना जी।
सिर पर स्वर्ण मुकुट है भारी,
शोभा मुख मंडल की न्यारी।
तन पर इत्र लगायो है हिना,
मेरा मन हर लीना जी।।

मूरत श्याम रंग की शोभित,
दर्शन कर सब होते मोहित।
जामा पीत रंग का झीना,
मेरा मन हर लीना जी।।

मंदिर अवध पुरी में सोहे,
हर प्राणी के मन को मोहे।
पंडित सेवक बहु प्रवीणा,
मेरा मन हर लीना जी।।

बहती सरयू कल कल धारा,
घड़ी बिराजे बजरंग बाला।
जो भक्तों में बड़े नगीना,
मेरा मन हर लीना जी।।

जो भी भक्त शरण में आए,
सारे, कष्टों से बच जाए।
शिव ने अनुभव ये ही कीन्हा,
मेरा मन हर लीना जी।
श्री रामचंद्र रंग भीना
मेरा मन हर लीना जी।
डॉ शिवदत्त “शिवम”
जयपुर राजस्थान।