हम सब ने मन के मन्दिर में दीप जलाए हैं
आज अयोध्या नाथ अयोध्या वापस आए हैं
हम——-
कितने हर्षित नादिया , सूरज, चाँद, सितारे हैं
फूलों ने खुद परम पूज्य के पाओं पखारे हैं
कलियों ने भी मधुरिम मधुरिम गीत सुनाए हैं
आज ——
कौशल्या के दशरथ के वो राज दुलारे हैं
भक्त जनों के सारे बिगड़े काज संवारे हैं
राम लला के वचन सभी के मन को भाए हैं
आज ———
विषम परिस्थितियों में तो बस यही सहारे हैं
और डूबती नैया के वो खेवनहारे हैं
ऋषि – मुनि भी तो हर पल उनकी महिमा गाए हैं
आज ——-
इन्दु “राज” निगम
वरिष्ठ कवियत्री
गुरुग्राम
संयोजिका – परम्परा संस्था
मो – 9650226700