*कजली भजन *
* कजली भजन * हरे रामा वनको चले रघुराई सिया सुकुमारी रे हारी।।हरे रामा नाशत असुरहिँ संतो के भय हारी रे हारी।। केकई ने वर मांगा सुनके दशरथ हुए अधीरा रामा।वन में न भेजो मेरे राम को कहते भर भर नीरा रामा। कि हरे रामा दे दो राज भरत को चाहे सारी रे सारी ।हरे […]