प्रभु श्री राम
श्री राम हैं केवल शब्द नहीं
सम्पूर्ण जीवन सार हैं।
रोम रोम झंकृत राम हैं
श्री राम जगत आधार हैं।
मुनियों का सत्संग सानिध्य
राम विराजित तत्वज्ञान।
हैं मानस पृष्ठों पर अंकित
राम नाम अनुपम आख्यान।
यज्ञ कर्म कण कण राम हैं
श्री राम बने प्रतिमान हैं
राम नाम पावन सरयू जल।
अम्बर बीच दिनमान है।
राम सांस हैं राम आस हैं
हर प्राणी के आसपास हैं।
सम्पूर्ण सृष्टि की अभिलाषा
सृष्टा-दृष्टा की परिभाषा।
राम कथा घर-घर है छाई
अवधपुरी में बजी बधाई।
जिनके अंतस हुए मलिन हैं
केवल वंचित कुछ अन्यायी।
वो त्रेता युग के राम हुए
नहीं रावण के वंश रहे।
थे कृष्णा द्वापर के नेता
नहीं क्रुर दानवी कंश रहे।
बनो प्रणेता अब नवयुग के
नहीं कोई कलुषित दंश रहे।
धन्य धरा गुंजित निनाद हो
केवल राम सरीखे अंश रहे।
स्वरचित एवं मौलिक रचना
मंजु तॅंवर “मंजुल”