Shri Rammandir Kavya

प्रभु श्री राम पर एक गीत प्रस्तुत है।राम राम तुम्हारा अभिनंदन है

  प्रभु श्री राम पर एक गीत प्रस्तुत है। राम राम तुम्हारा अभिनंदन है,धरती पर फिर आ जाओ। विश्व घिरा है अंधकार में, पवन ज्योति जाग जाओ।। विजय दिवस पर सत्य,न्याय का, ध्वज आकर फहराना है।दुष्टों का संहार है करना,राम राज फिर लाना है ।। क्षत्रीपन का अपना पौरुष, आकर फिर दिखला जाओ।राम तुम्हारा अभिनंदन […]

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राम सत्य हैं नित्य राम हैं।

  श्रीराम राम सत्य हैं नित्य राम हैं।सुंदर सुखद चरित्र राम हैं।।राम आदि हैं अंत राम हैं।अरु जीवन पर्यन्त राम हैं।।राम भोर हैं शाम राम हैं।सबसे सुंदर नाम राम हैं।।राम सुबह दोपहर राम हैं।दुष्ट जनों पर कहर राम हैं।।राम दिवस हैं रात राम हैं।सुंदर सुखद प्रभात राम हैं।।राम साधना साध्य राम हैं।जन जन के आराध्य

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राम नाम की महिमा

  राम नाम की महिमा प्रभु श्रीराम से ज्यादा उनका नाम प्रभावशाली है ।रूप के बिना देखे भी राम नाम का स्मरण किया जाए, तो विशेष प्रेम के साथ वह रूप सामने आ जाता है ।इन नाम और रूप में कौन छोटा है ,और कौन बड़ा है यह कहना अपराध है ।इनके गुणों की महिमा

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आओ! राम लला हर्षित जन मन भारती

आओ! राम लला हर्षित जन मन भारती ‘’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’ आओ! राम लला हर्षित जन मन भारती,भाग सौभाग उदित हमारे करै मङ्गल आरती।…….. … सरयू तीरे ज्योतित सुख धाम साकेत सुर सुंदर,भये प्रकट कृपाला राम लला ब्रह्मांड हितकारी।…………..विधाता ब्रह्मा जी,सृष्टि बेल जग कल्याणी,महाप्रतापी धर्म नीति-रीति निपुण पराक्रमी।………….जग रचयिता ब्रह्माजी के धर्मज्ञ कुल वंशज,कश्यप पुत्र वैवस्वत मनु महाप्रलय

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उर्मिला!!! तुम महान हो

*** उर्मिला!!! तुम महान हो*** रामचरितमानस की नायिकालक्ष्मण की तुम प्रेयसीजनक की दुलारी पुत्रीमिथिला की तुम श्रेयसी!! कब सोचा होगा तुमनेकि एकांतवास में जीना होगामहल में रहकर भीविष का घूँट पीना होगा l लक्ष्मण ने फर्ज निभाया अपनाउठकर वनवास को चल दिएसीते ने भी अधीरता दिखाईऔर वन- वन भटकी वह! कितनी सुखी रही होगीवह पति

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मेरे प्रभु श्री राम हैं

मेरे प्रभु श्री राम हैं    अखिल कोटि ब्रह्मांड के  कण कण में जो व्याप्त हैं , रघुकुल नंदन जानकी वल्लभ  मेरे प्रभु श्री राम हैं |     राम नाम का ले के सहारा  लेखनी को तैयार किया , राम नाम के अगाध सिंधु से  अंजुली भरने का प्रयास किया|      मैंने प्रभु

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राम तुम्हारे दर्शन की बस जीवन की अभिलाषा है

राम तुम्हारे दर्शन की बस जीवन की अभिलाषा है राम तुम्हारे दर्शन ही तो जीवन की परिभाषा है राम तुम्हारे अनुकम्पा ही जीवन जीने की आशा है। राम तुम्हारी मर्यादा औरराम तुम्हारी नैतिकता राम तुम्हारे दुःख सहने की कोई नहीं सीमा रेखा राम तुम्हारी अनुकम्पा की बची हुई अभिलाषा है। कभी अनर्थ का भाव न

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राम चले वनवास सिया जब बोल उठे तब लक्ष्मण भाई

राम चले वनवास सिया जब बोल उठे तब लक्ष्मण भाईकेवल सार यही इस जीवन का नत मस्तक हों चरणाईधर्म कहे उस ओर चलो जिस राह चलें हमरे रघुराईसोच रहे चुप राम खड़े अब के हठ लक्ष्मण ने दिखलाई रचना निर्मल  

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राक्षस रावण जा पहुँचा वन पंचवटी हरने परनारी

राक्षस रावण जा पहुँचा वन पंचवटी हरने परनारी जंगल खूब घना जिसमें सह कष्ट रहे वह राजकुमारी मोहित था लख सुंदर नार हिया चुभती वह नैनकटारी भेष धरा उसने मुनि का जब , ली छल से हर राम पियारी। रचना निर्मल  

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राम का आगमन

राम का आगमन सज गई देहली वीथिका आयतनराम के आगमन में बिछे हैं नयन ढोल बजने लगे गाँव सजने लगेराम आए नगर भाग्य जगने लगे।हर दिशा से महक कर हवाएँ चलीराम से है मिलन आस दिल में पली। देव गण हैं मुदित देख कर ये अयनराम के आगमन में बिछे हैं नयन नेह के दीप

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