राम का आगमन

राम का आगमन

सज गई देहली वीथिका आयतन
राम के आगमन में बिछे हैं नयन

ढोल बजने लगे गाँव सजने लगे
राम आए नगर भाग्य जगने लगे।
हर दिशा से महक कर हवाएँ चली
राम से है मिलन आस दिल में पली।

देव गण हैं मुदित देख कर ये अयन
राम के आगमन में बिछे हैं नयन

नेह के दीप में वर्तिका भक्ति की
देख बिखरी छटा धर्म की शक्ति की
धीर उर में धरे वंदना मैं करूँ
हस्त रख दो वरद शेष जीवन धरूँ

मोक्षदायी सुधा से करूँ आचमन
राम के आगमन में बिछे हैं नयन

आ गए हैं अवध राम लक्ष्मण सिया
तात का मान सम्मान सुत ने किया
ज्योति नभ के सभी दीप बन के जले
दीप्त वसुधा हुई आसमाँ के तले

अब मिटेगा तमस छा रहा जो सघन
राम के आगमन में बिछे हैं नयन

छा रही विश्व पर पाप की क्यों घटा
ज्ञान की रश्मियाँ वेध कर के हटा
लोक जन में जगे धर्म की भावना
विश्व कल्याण की हो मनस कामना

दान जप तप क्षमा का करें हम चयन
राम के आगमन में बिछे हैं नयन

स्वरचित
वंदना तिवारी ‘शिवली’
पुणे