राक्षस रावण जा पहुँचा वन पंचवटी हरने परनारी

राक्षस रावण जा पहुँचा वन पंचवटी हरने परनारी

जंगल खूब घना जिसमें सह कष्ट रहे वह राजकुमारी

मोहित था लख सुंदर नार हिया चुभती वह नैनकटारी

भेष धरा उसने मुनि का जब , ली छल से हर राम पियारी।


रचना निर्मल