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रघुवर तुमको आना होगा

स्वरचित मौलिक रचना –शीर्षक-रघुवर तुमको आना होगा तुलसी बाबा ने दिया दुनियां को सन्देश,सीता का संग चाहिए तो धरो राम का वेष। रमापति राम जी को सर्वप्रथम प्रणाम करते हैं,पुरुषोत्तम राम की महिमा का हम गुणगान करते हैं।। लिया जो नाम रघुवर का,उजाला दिल में भरता है,धधकते मन के शोलों पर, जो शीतल धार बनता […]

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विधा – भजन

हमको बना दो सेवक किसी काम के लिए।शबरी बना दो हमको श्री राम के लिए।। तुलसी कभी सूर की आंखों के जाल में,तुलसी कभी सूर की आंखों के जाल में ।करते नहीं भेद हम राघव-गोपाल में,करते नहीं भेद हम राघव-गोपाल में।रख लो प्रभु चरणों में अपनेरख लो प्रभु चरणों में अपने आराम के लिए ।।

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महिमा राम की

राम-राम सिया जय सिया राम राम राम सिया जय सिया राम । भारत के कण-कण में राम, जन – जन के हृदय में राम। राम – राम की धुनि लगी है, दिन और रात सुबह और शाम। राम-राम सिया जय सिया राम, राम राम सिया जय सिया राम। राम नाम भव तारण हारा, जो सुमिरे

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रामचरितमानस

पावन ग्रंथ रचित रामायण, गुणगान इनका कीजिए।शुचितम वंश सुखद रघुनंदन, यशगान इनका कीजिए।।जय बोलो रामायण की, जय बोलो रघुनंदन की।। सच्ची भक्ति प्रभु चरणों में , नैया पार लगाती है ।निष्ठा मात पिता गुरुवर की , गंगा ज्ञान बहाती है।।अनुशासन और मर्यादा की , सीमा निश्चित कीजिए ।।पावन ग्रंथ रामायण…… विजय सदा हो अच्छाई की

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दोहों में श्री हनुमान

हनुमत काया स्वर्ण सी, पहने कुंडल कान ।कुंचित केश घने दिखें , कर लो दर्शन ध्यान ॥ अंजनी पुत्र महाबली, महावीर हनुमान।कष्ट हरें शंकर सुवन, रखें भक्त का मान ॥ बुद्धि ज्ञान बल से प्रबल , तीनो लोक प्रताप।महाबली हनुमान हैं, दूर करें संताप ॥ नभ जल थल पाताल तक, असुर रहे भयभीत ।क्रूर कपट

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जय श्री राम

राम हमारे राम तुम्हारेहर जीवन के राम सहारे सुख के संगी दुख के संबलहर कोई हर दिन ‘राम’ पुकारे कितना पावन राम का नामजय श्री राम ! जय श्री राम ! राम की रचना राम के रंग रेनीति के सैनिक राम के अंग रेमन को सहारा राम ही देतेराम से ही है दिल को उमंग

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श्री राम

दोहे प्रभु राम ने था लिया,त्रेता में अवतारनाम तभी से पा रहा,जगती में विस्तार।। मरा मरा जप ने किया,दूर समस्त अज्ञानडाकू ने भी संत बन,बाँटा जग को ज्ञान।। राम नाम इस पार है,राम नाम उस पार राम नाम रटते रहो,तारक यह मझधार।। खींच प्रत्यंचा धनुष पर ,दी थी जब ललकार सागर चरणों में गिरा, करो

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प्रभु राम

गावत गान मंगल ध्वनि जाकी।मनोरथ शेष कछु नही बाकी।। प्रभु सियाराम पग धर लेंहीं।नयन लाभ सब सादर लेंहीं ।। सकल कुल संग राम सिया ।उर बिराजै मनहु जाकै पिया।। सलिल सलिला बाहै तट सरयू।कथा अनंत निस दिन कहयू ।। सकल विश्व नित क्षण सुनिहौ।मारूति नंदन करे रक्षा कहियौ।। राम संग होही भारत राम राजा ।अयौध्या

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रामायण का सार है

रामायण का सार है,त्याग और अनुराग।युगों-युगों तक नहीं लगे,आदर्शों पर दाग।। राम लला से सीखिये,त्याग और अनुराग।वचन निभाने के लिए,दिया महल को त्याग।। आप बताएं राम सा,कैसे गढ़े चरित्र।ना ही गुरु वशिष्ठ हैं,और न विश्वामित्र।। माँ शबरी को देखकर, भावुक दीनानाथ।जूठे बेरन खा गए,बड़े जतन के साथ।। कुटिल मंथरा ने यहाँ, फेका ऐसा जाल।मात कैकई

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दशरथ नंदन राम

जन-जनके नायक हुए ,दशरथ नंदन राम ।समदर्शी व्यवहार से ,किए कोटि सत काम ।। धन्य-धन्य श्रीराम प्रभु ,धन्य अयोध्या- धाम ।धन्य धरा बहती जहाँ ,सरयू सरि अविराम ।। कोटि सूर्य-सा आभ मुख ,कमल नयन तन श्याम ।लिए मधुर मुस्कान अधर, दशरथ नंदन राम ।। सागर सा संयम लिए ,करुणा नीति निधान ।त्याग समर्पण मूर्ति के

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