Shri Rammandir Kavya

राम वन गमन

चौपाई राम नाम होता सुखदायक,जीवन में बन रहा सहायक।जान वचन माता का अब वो,किया गमन फिर वन में जब वो ।। चले वचन वो पूरा करने,दुखियों की सब पीड़ा हरने।जिस कारण अवतार लिया था,काम वही अब पूर्ण किया था।। सिया लखन भी संग चले है,सकल अयोध्या विकल भले है ।रघुकुल नंदन दशरथ प्यारे,राम-राम बस सभी […]

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उत्सव गीत

श्रीराम लौट कर आए,ख़ुशी अवध में भारी है।घाट सजे हैं सरयु के दीपोत्सव की तैयारी है।। विष्णु के अवतार राम हैं लक्ष्मी माता जानकीशेषनाग अवतार लक्ष्मण और भक्त हनुमान कीअद्भुत रूप छवि मनोहर,झाँकी सुंदर,प्यारी है। कौशल्या केकैई सुमित्रा, माता सब हर्षाईं हैंचौदह बरस बाद आज शुभ घड़ी यह आई हैसजी अयोध्या दुल्हन सी छटा बहुत

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शीर्षक – सीया राम की

खुशियाँ मनाओ सब ,झूमि झूमि गाओ सब,दीपक जलाओ अब ,राम सीता आये हैं । दौरि दौरि जात सब,नगर के वासी अब ,झूमि झूमि नाच रहे,प्रेम ही के बस में । नर नारी चढ़ि रहे ,झाँकि झाँकि देख रहे ,घर के झरोखन सों, छवि कूँ निहारें हैं । भरि भरि लात सब ,पुष्प दल देखो अब

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राम सुमिर मन राम सुमिरन मन

राम सुमिर मन राम सुमिरन मनबन जाए जीवन राम सुमिरन मन।  सारा जग है राम की छाया। राम ही जाने राम की माया ।सब में उसी का नूर समाया। मिट्टी कर दे राम ही कंचन ।राम सुमिर मन राम सुमिर मन।  जब जब भी कोई राम पुकारे ।जा पहुंचे मन राम के द्वारे ।राम ही देते बढ़

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प्रभु श्रीराम जी पर रचना

राम का नाम हम लेते हैं, दिन – दोपहर , सूबहों – शाम।प्रभु तुम्हें प्रणाम, प्रभु तुम्हें प्रणाम।प्रभु तुम्हें प्रणाम, प्रभु तुम्हें प्रणाम। हुआ अयोध्या में राम का जन्म,मन सबका हर्षाया थाप्यार बांटा भाईयो में,सबको प्रेम सिखाया था।बनकर सदाचारी श्रीराम ने,कर्तव्य अपना निभाया था।छूकर शिला अहिल्या की,श्राप से मुक्त कराया था।श्रीराम के चरणों में है,जीवन

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भरत चरित्र

भाईचारे की मिशाल विष्णु के सुदर्शन चक्र ने,लिया भरत रूप में अवतार।भरत के चरित्र जैसा,दूजा नहीं कोई चरित्र।राम के भ्राता भरत,भाईचारे की मिशाल।प्रेम के प्रणेता, उच्च विचारों वाले।इसलिए राम के घट प्राण मेंबसते सदा भाई भरत।भरत नाम का अर्थ, जो मेरे दिल ने माना…भ-भरतर- राम त-तुम्हारे कहते हैं होती कहीं जब राम कथा अनंत,आकर बैठ

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शुभ दीपोत्सव बेला

मनाओ घर घर दिवाली,अवध श्रीराम आए हैंछाई हर ओर खुशहाली,प्रभु श्री राम आए हैं। मात कौशल्या के जाये,लौट वनवास से आएअवधपुरी ख़ूब सजाओ रे दशरथ सुत राम आए हैं। पांच सौ बरस बिता कर न्याय मिला अब कलयुग में भाईआएगा फिर से रामराज्य ये विश्वास लाए हैं। सरयु के घाट सजे हैं,प्रभु राम के स्वागत

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लक्ष्मण शक्ति: (राम विलाप)

छोङना ना साथ,छोङना ना साथ भैया साथ तुमरा प्यारा हैतुम हो तो हर सहारा है। देश बेगाना, परिवेश बेगाना, बेगाना हर नजाराआस तुमसे है, विश्वास तुमसे है, हो तुम ही इक सहाराहोश में आओ,होश में आओ कि तुमको राम ने पुकारा हैतुम हो तो हर सहारा है गम की बेला है, भाई अकेला है, नहीं

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कौशल-किशोर श्रीराम नमन्

भारत-चेतन के प्राणतत्व, दशरथ-सुत कौशल्यानंदन ।हे राघव! रामभद्र, शाश्वत, कौशल-किशोर श्रीराम नमन् ।। जित क्रोध,लोभ,हे अखिलेश्वर!जग-संस्कृति के हे संवाहक !तुम हो तो इस भारत-भू काजग सदियों से है गुण-ग्राहक ।। दसकंधर सँग खर-दूषणारिजग-क्रंदन का करते भंजन ।हे राघव ! रामभद्र, शाश्वत….।। तुम त्रिगुण, त्रयी, वेदात्म तुम्हींउपनिषद, पुराणों की वाणी ।तुम हरबोलों के प्रात-भजनतुमसे ही कविता

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गीत

हे राम सकल गुणधाम सुनो ।।तुम्हें बारम्बार प्रणाम सुनो ।।मेरी कोशिश है तुम तक पहुंचे ।जन जन का के पैगाम सुनो ।। क्यूँ भूल गए उस भूमि को जिस पर अवतरित हुए थे तुम ।सत के पथ पर चल कर ही तो सच है सद्चरित हुए थे तुम ।रघुकुल का मान बचाने को महलों के

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