आओ अपने राम पुकारें
मीन मास कहें मधु मास कहें ,
चैत्र मास कहें नवमी तिथि पावन ।
रघु वंशज अज के सुत दशरथ ,
गृह अवतार धरे प्रभु मानव ।।
श्री विष्णु द्वादशावतार प्रभु ,
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामम् ।
करुणानिधि शील सुजान प्रभु ,
कौशिल्या हिए के सुखधामम् ।।
तनु श्यामल गौर सुकोमल अंग ,
पट पीत तड़ित सुचि छवि अविरामम्।
सिर मुकुटं धारम् तिलकं भालम् ,
अधरम् मुस्कान छवि अमित लुभावन।।
हृदय उदार कृपालु दयालु ,
दशरथ नन्दन रघुकुल उद्धारम् ।
खर, दूषण, त्रिशरा,. रावण सम ,
किए हनन धरा हित शोक निवारण।।
इति वदति “सरल” सुजान सहजहिं,
प्रभु प्रिय पद पंकज वन्दनम् ।
त्रिविधि ताप औ त्राण टरै ,
चरनन अनुराग करै कल्याणम्।।
“आओ अपने राम पुकारें” ,
जय श्री राम कहें सुखधामम् ।
राम ही राम कहें अविराम ,
नैया होवै भव सागर पारम् ।।
तीर्थ देव शर्मा “सरल”