श्रीराम
नील वर्ण जो हैं पीताम्बर ,
रावण के संहारक राम ।
शीश मुकुट धर कान में कुण्डल ,
जग के हैं वो पालक राम ।
जानकी संग छवि जिनकी है ,
जग में सबसे प्यारी ।
त्रेतायुग के सूर्यवंशी नृप ,
बलि बलि जाऊं तुम्हारी ।
कौशल्या और दशरथ के ,
नयन सितारे राजदुलारे ।
भ्राता जो आदर्श बनें,
भरत के थे सबसे प्यारे ।
जानकी सुंदर अति प्यारी ,
रही ना जाती छबि निहारी ।
लव कुश जिनके अति प्यारे ,
राम जानकी महिमा न्यारी ।
मर्यादा पुरुषोत्तम बनके ,
करते जग का जो कल्याण ।
धन्य भाग्य हम ओ मेरे ईश्वर ,
इस भूमि में जन्मते राम ।
पाप की गठरी जो खुलवाते ,
कर्मो को हमसे मुक्त कराते ।
राम नाम जो जपे हमेशा ,
उसका होता है कल्याण ।
राम राम बस राम ही राम ,
मन में राम, मेंरे ध्यान में राम ।
विश्वामित्र के परमप्रिय तुम,
बारम्बार तुम्हे प्रणाम ।
डॉ अंजलि मिश्रा
कोलंबो श्रीलंका