जय श्री राम🙏🏻 जय श्री राम🙏🏻
राम जी की वंदना मे चार आख़र कह सकूँ
अपने अंतर्मन की पावन भावना मे बह सकूँ
है अभिलाशा प्रभु के सब चरण वंदन करें
तन तो मिट्टी है परन्तु आत्मा चंदन करें
राम जैसा मन बने तो राम जैसा तन बने
शांतनु गर हम बने तो पुत्र भी सरवन बने
दो प्रभु वरदान हमको सत्य का हम पथ बने
सारथी ना बन सकें तो राम जी का रथ बने
वंदना मे है जरूरत राम के गुणगान की
बात करिये राम जी के प्राण प्रतिष्ठान की
राम हैँ आदर्श सबके राम सबके प्रण मे हैँ
राम धरती आसमा मे राम जी कण कण मे है
राम वायू जल अनल मे राम सबकी आत्मा
कौन कितनी स्वांस लेगा गिन रहा परमात्मा
दो प्रभु वरदान के हम सबका सीना तन सके
जानकी रक्षार्थ हर हिन्दु जटायू बन सके
कुछ नही बस राम जी की टेर गाने को मिले
मात भिलनी के वो झूठे बेर खाने को मिले
राम मिल जाए जरूरत है नही धनधान की
बात करिये राम जी के प्राण प्रतिष्ठान की
लेखनी से है विनय कुछ लिख अवध के धाम पर
राम शत्रुघन भरत पर लिख सिया पर राम पर
राम हैँ सबके अराध्य राम सबके ध्यान मे
जनवरी बाईस सभी जन राखिए संज्ञान मे
देश मे कर दो मुनादी के सभी पैदल चलें
धारकर कर मे धनुष नव पीढ़ियों के दल चलें
सर्व प्रथम सरयू तट पर दल सभी जाकर रुकें
जो हुवे कुर्बान उनके वास्ते मस्तक झुकें
राम मंदिर के लिए बाजी लगा दी जान की
बात करिये राम जी के प्राण प्रतिष्ठान की
पीढ़ियाँ नव जान जाएं प्रीत रघुकुल रीत की
झूठ असुरों निश्चरों पर सत्यपथ की जीत की
इक झलक केवट की देखो एक उनकी नाव की
अर्चना करिये प्रभु और जानकी के पाँव की
पाँच सो वर्षो का स्वर्णिम पल नही ये छोड़ना
काल्पनिक जो थे बताते भ्रम को उनके तोडना
गाय माता की निकालो सर्व प्रथम रोटियाँ
हो सनातन धर्म से सिर धार लो फिर चोटियाँ
बोलिए जय जोर से नल नील के विज्ञान की
बात करिए राम जी के प्राण प्रतिष्ठान की
इस अवध धाम के सिरमौर दशरथ थे कभी
राजशहाही ठाट वाले सैकड़ों रथ थे कभी
राम शत्रुघन भरत और लक्ष्मण से लाल थे
रानियों के वास्ते कितने तलैया ताल थे
रोकने की कोशिशें की सबने राजा राम को
की विनय मत छोड़कर जाओ अवध के धाम को
पित्र के प्रण को मगर नीचा नही होने दिया
बीज़ रघुकुल रीत का श्री राम ने बोने दिया
त्याग दी गद्दी सभी निज इच्छएं कुर्बान की
बात करिये राम जी के प्राण प्रतिष्ठान की
माँ अहिल्या की प्रभु के नाम भक्ति देखिए
लक्षमण की लक्ष्मण रेखा की शक्ति देखिये
होसला देखो जटायू का जो रावण से लड़ा
प्राण जब तक ना गए लंकेश पर भारी पड़ा
राम जी का साथ इक बलशाली बंदर ने दिया
क्रोध देखा राम का रस्ता समंदर ने दिया
लंक मे फिर पाँव अंगद ने जमाया देखिए
पग डिगाने अंत मे लंकेश आया देखिए
ये कहा अंगद ने पड़ जाओ शरण भगवान की
बात करिये राम जी के प्राण प्रतिष्ठान की
मनमौजी