राम नाम अनमोल है, भजो राम ही राम।
राम सुखों के मूल हैं, राम सुखों के धाम।।
नदियों में गंगा नदी, तीर्थों में हरिद्वार।
नगरों में अवध नगरी,लिए राम अवतार।।
राम प्राण है देश के, राम सकल जग धाम।
राम राम हैं राम के,कण कण में प्रभु राम।।
वर्णन भलाई का करो, तजो बुरे सब काम।
मन का रावण मारिये, मिल जाएंगे राम।।
घर द्वारे सजने लगे, और सजे सब धाम।
जगमग सारा जग हुआ, घर आए प्रभु राम।।
बंधन सारे कट गए,छूट गया संसार।
मन मेरा मंदिर हुआ, आकर प्रभु के द्वार।।
राम नाम भजते रहो, करो सदा गुणगान।
राम नाम के नाम से,तर जाते पाषाण।।
तीरथ सारे घूम लो, घूमों सारे धाम।
मन के अंदर झांक लो, वहीं मिलेंगे राम।।
राम मांगते देश से, अपना एक मकान।
अर्जी पड़ी अदालत में, भली करे भगवान।।
कहे अदालत राम से, कैसे हो श्रीमान।
आकर कहां उलझ गए, कलयुग में भगवान।।
राम कहें हनुमान से,किस पर करूं विश्वास।
राम नाम से कट रहा, कलयुग का वनवास।।
राम तुम्हारे देश में, कहां गया वह धाम।
जिसको पाने के लिए, तरस गए प्रभु राम।।
सुन पानी के बुलबुले,इतना ले तू जान।
नाम अमर है राम का, मिथ्या है अभिमान।।
आज देश में कर रहा, जन-जन यही पुकार।
पहले मंदिर राम का, सुन ले यह सरकार।।
राम देश की जान हैं,राम देश की आन।
राम प्राण हैं देश के,राम देश की शान।।
बाल न बांका हो सके,मिटे नहीं सम्मान।
रक्षा जिसकी कर रहे, राम भक्त हनुमान।।
चली अदालत रात में, बन जाता कानून।
मंदिर को फुर्सत नहीं, उबल रहा है खून।।
भज ले नाम राम का,मत कर तू अभिमान।
ठाट बाट सब छोड़कर, पहुंचेगा शमशान।।
व्याकुल धरा पुकारती,लो फिर से अवतार।
अंत करो आतंक का,जग के पालनहार।।
अपने बल का बोध कर,किया राम का ध्यान।
पता लगाने मात का, निकल पड़े हनुमान।।
राह तुम्हारी मैं तकूं, भजूं तुम्हारा नाम।
कब दोगे दर्शन मुझे, हे शबरी की राम।।
राम राम कहते रहो, सदा करो तुम जाप।
राम नाम के जाप से,मिट जाते संताप।।
मंदिर बनता राम का, गाओ मंगल गीत।
रामलला विराज रहे, हुई सत्य की जीत।।
दिनेश त्यागी