#श्रीराम
श्रीराम की हुई अवहेलना से,
आज कलम बहुत उदास है।
लिखने को उठते हाथ हैं,
पर कलम बहुत उदास है।।
राघव की धरती पर, राघव का होता अपमान है।
यह सोच सोच कर, कलम बहुत उदास है।।
जय श्री राम लिखने भर से,
जहां होता उद्धार है। उस देश में कलम से, किया ये कैसा परिहास है??
राम नाम के लिए लिखी ये क्या अनर्गल बात है।
लिखने से पहले क्यों नहीं कांपें तुम्हारे हाथ हैं?।
हे धरा के बोझ तुमको, क्यों न आती लाज है?
क्यों कर किया तुमने, ये निकृष्ट परिहास है?
तुम्हारी करतूतों से तो हुआ,
कलम का भी अपमान है।
अब भी दलील पर दलील
ये देख कलम उदास है।।
राष्ट्रवादी का चोला पहन
यूं राष्ट्र से किया घात है।
क्या युवाओं के लिए अब
बस बची यही सौगात है?
राम नहीं एक नाम बस
ये तो राष्ट्रीय संस्कार है।
संस्कारों को किया छलनी
ये देख कलम उदास है।
पूनम सारस्वत
अलीगढ़, उत्तर प्रदेश।