सिया की विदाई
घनाक्षरी छंद सिया की विदाई सकुचाते, शर्माते ,मंद-मंद मुस्काते ,राम जी के गले सिया डारी जय -माल है । देव-गण करें स्तुति, फूल बरसाएं सभी, लखि के जनक जी का ऊँचा हुआ भाल है । निरखत रामछवि ,मगन हुए हैं सभी ,जनक पुरी में कैसा हुआ रे धमाल है । नयनों में जल भरे, जनक […]