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भक्ति रस

भक्ति रस मन दर्पण में राम बसाकरभाव मग्न हो जाऊँ मैं,राम नाम की वीणा बनाकर ख़ुद झंकृत हो जाऊँ मैं। रोम रोम श्री राम समायेजीवन दरिया बहता जायेहनुमंत रस बरस उठे अब हम सबके मन को हर्षायेकण कण में तुमको ढूँढू प्रेम मोती बरसाऊँ मैं,मन दर्पण में राम बसाकरभाव मग्न हो जाऊँ मैं….. राम नाम […]

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श्रीराम जीवन पर आधारितचौपाई

श्रीराम जीवन पर आधारितचौपाई 1,विप्र धेनु सुर के हितकारी ।रामजनम अति है उपकारी ।। 2,रामजनम के हैं हेतु अनेका ।लिखूं आज मैं सहित विवेका ।। 3, भूमि का भार उतारन आए ।नर अवतार हरि ग्रंथन गाए ।। 4,प्रेम का प्रतीक राम जीवनी ।मन दुख हरती ये संजीवनी ।। 5, मातपिता के आज्ञाकारी।श्रीराम जी जग हितकारी

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कहा था के मंदिर वहीं पर बनेगा,

कहा था के मंदिर वहीं पर बनेगा, वहीं पर सियाराम दरबार होगा।चहूंओर गुंजेगा भगवा का नारा, वहीं सपना भक्तों का साकार होगा।। कहा था के———— सभी संत आएंगे फिर से अयोध्या, हवन भी करेंगे लगाएंगे चंदन।धरा वायुमंडल हो जाएंगे पावन, चहूंओर उर्जा का संचार होगा।। कहा था के———— शिला लेख मंत्रों से शक्ति बढ़ेगी, भजन

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गीत

गीत केवट ने गंगा पार कराई जग के खेवनहार कोक्या अद्भुत दृश्य रहा होगा वो अँखियों के उद्धार को भक्त था केवट, बुद्ध था केवट, बहुत सयाना था केवटराम भले समझाते रहे, बातों में न आना था केवटमुँदरी लौटा दी उसने अर खुलवा लिया मोक्ष द्वार कोक्या अद्भुत दृश्य रहा होगा वो अँखियों के उद्धार

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माहिये

माहिये 1) पुरुषोत्तम राम बनेजिसने भी ध्यायाबिगड़े सब काम बने। 2) केकयी ने वचन लियेउन वचनों खातिरवन में श्रीराम गये। 3) प्रभु ने जो वरण कियेकेवट उनमें थासरयू तट चरण दिये। 4) केवट ने पग धोयेमान दिया इतनाप्रभु राम स्वयं रोये। 5) दिन कैसे फेर दियेचख-चख शबरी नेभगवन को बेर दिये। 6) किस्किंधा राम चलेबाली

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(गीत)

(गीत)जिसने राम कहा ना जीवन,है उसका किस काम का।आज बजा है जग में डंका,मेरे प्रभु श्री राम का।। मिथिला में जाकर रघुवर ने,शिवजी का था धनु तोड़ा।विपुल वीर रह गए देखते,सिय से जब नाता जोड़ा।।जनकराज का शोक मिटा,सब सुखी हुए हैं नरनारी।सिया राम की सुंदर जोड़ी,जब निज नयनन निहारी।।हुए प्रसन्न भक्त जन सारे,दर्शन कर सुखधाम

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वीर हनुमान

वीर हनुमान जन्मोत्सव हम मना रहे हैं,महावीर हनुमान का।माँ अंजना के पुत्र है प्यारेपवन पुत्र बलशाली इतनेपवन से भी तेज उडे़।अद्भुत अविरल करतब करकेबाल्यकाल की यात्रा कर लीलड्डु और चुरमे की थालीझट पट में ही चट कर दी सुरज को मुख में बंद किया,मीठा फल समझ कर के ।अंधकारमय हो गई धरतीत्राहि त्राहि मच गईं

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बीर बजरंगी की कृपा

परिवार साथ ले विराजियेगा मन्दिर ही,भक्त देखते रहेंगे दिल के प्रदेश में।काम,क्रोध,मोह,मद,द्वेष का विकार भागे,शान्ति,सद्भाव फैले पूरे परिवेश में।शब्द का बनाके पुष्प उन्हें ही चढ़ा रहे हैं,लोग ब्रम्ह देखते हैं जिस अवधेश में।विनती यही है जब गृह में करें प्रवेश,रामराज्य लाना मत भूलियेगा देश में। करुनानिधान, भक्तवत्सल पुकारें लोग,सत,चित,आनंद बताते घनश्याम हैं।निर्गुण वो किन्तु धर्म

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| देख सुंदर छवि को सियाराम की |

भजन-देख सुंदर छवि को सियाराम की,मन में आनंद ही आनंद मुझे ( हमे) आ रहा, 1 .राम कोमल हे एक पंखुड़ी की तरह,शिव चाप है भारी जनक प्रण भी है,देख करके यू सीता करे प्रार्थना,गणनायक स्वीकारो मेरी प्रार्थना।(टेक) राम पल में उठे हे गुरु प्रार्थना, उमाशंकर की देखो करे प्रार्थना, पल में तोड़ा प्रभु ने

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