भक्ति रस
भक्ति रस मन दर्पण में राम बसाकरभाव मग्न हो जाऊँ मैं,राम नाम की वीणा बनाकर ख़ुद झंकृत हो जाऊँ मैं। रोम रोम श्री राम समायेजीवन दरिया बहता जायेहनुमंत रस बरस उठे अब हम सबके मन को हर्षायेकण कण में तुमको ढूँढू प्रेम मोती बरसाऊँ मैं,मन दर्पण में राम बसाकरभाव मग्न हो जाऊँ मैं….. राम नाम […]