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कैकेयी की व्यथा!

कटु तंज, सहे ना अब जाते,ये तीक्ष्ण वचन ना उर भाते,जग ने माँ का अपमान किया,माँ ममता को बदनाम किया, हे राम ! उचित कथ्य दे दो,मातृत्व बचें, सत्य कह दो। हर ओर निराशा ने घेरा,अपराध बतादो तुम मेरा,मैंने अपराध किया था क्या?तुमको वनवास दिया था क्या? हे राम ! उचित तथ्य दे दोमातृत्व बचें, […]

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सीता हरण

स्वर्णिम मृग को देख सिया ने,कहा राम से जाओ नाथ।करो शीघ्र आखेट हिरण का,लाओ इसको अपने साथ। मन तो नहीं था चल दीन्हे पर,चाह सिया की पूरी करने।प्राणप्रिया के सुख की खातिर,राम लगे लंबे डग भरने। नाथ नहीं जब लौट के आए,समय बहुत जब बीता।लक्ष्मण-रेखा खींच लखन भी,चले छोड़कर सीता। तभी दशानन पंचवटी में,साधु का

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पुरुषोत्तम राम

पुरुषोत्तम तुम जब भी आनाहर आंगन में खुशियां लानाकिसी आंख में ना हो आंसूहर मुखड़े पर हंसी सजाना कोई अपनों से ना रूठेजो बिछुड़े हैं उन्हें मिलानापतझड़ तो आना जाना हैहर बगिया में फूल खिलाना सांझ सकारे तुम रखवारेप्रभु दे दो तुम वह सुरतालअमृत रस से भर दो घट-घट अंतस्तल तक भर दो ताल ऐसा

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मां कौशल्या

कौशल प्रदेश में जन्मीं थीं, वे धर्मवती अनुरागी थीं।नृप दशरथ की थीं प्रिया अत:,रागी होकर भी त्यागी थीं || थी पूर्व जन्म की सतरूपा, तप किया राम को पाने को, वो भी सुत के स्वरूप में आ-कर गोदी में इठलाने को | हो गये मनोरथ सिद्ध सभी, अखिलेश्वर सुत बनकर आये,जो श्रषि-मुनियों को दुर्लभ है,

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गुणों के सागर- मेरे राम

धन्य है देश मेरा ,धन्य है मेरी भारत भूमि,जन्मे जहाँ श्री राम,राम नमामि,राम नमामि। राम केवल नाम नहीं , जन-जन के हैं कंठाहार ,दृष्टिकोण उनका सार्थक, हैं वे जन-जन के आधार।केवट को तारा और शबरी का किया उन्होंने उद्धार ,जिन्हें पतित कहता था जग,वे बने उनके पालनहार। मर्यादा पुरुषोत्तम व आदर्श पुरुष वे कहलाए ,न

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राम नाम की महिमा न्यारी

राम नाम की महिमा न्यारी ।सुनें सुनाएं सब नर – नारी।। राम नाम का जप करने से ,मन का सारा कल्मष धुलता ।राम का रोज भजन करने से,ब्रह्म-ज्ञान का द्वार है खुलता ।चेतन चिन्तन हो हितकारी ।।राम नाम की—————-।।*********राम नाम का भाव घुले तो ,जल भी अमृत – सा हो जाए।गीत -स्वर में मिले राम-धुन,अनहद

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जय श्रीराम

मर्यादा पुरुषोंत्तम राम जल्दी फिर आना होगा।धरती मे फिर रावण हो गए, अहंकार मिटाना होगा।………… न छोटा ना बड़ा यहां पर सब अपनी सीमा भूल गए ।हर बात में बेटा बाप को शिक्षा देने खड़े हुए। आ जाओ मेरे रामलला धरती मां रोती है ।पेड़ पौधे नित्य कट रहे हवा नहीं अब बहती है ।

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मंथरा

आज ही नहीं आदि सेहम भले ही मंथरा कोदोषी ठहराते, पापी मानते हैं,पर जरा सोचिये कि यदि मंथरा ने ये पाप न किया होतातो कितने लोग होते भलाजो राम को जान पाते।कड़ुआ है पर सच यही हैशायद ही राजा राम का नामहम आप तो दूर हमारे पुरखे भी जान पाते।सच से मुँह न मोड़िएहिम्मत है

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राम नाम है पावन पावन

राम नाम है पावन पावन ।राम कथा है मनभावन ।संस्कृति के आधार राम हैं।मुक्ति के पुण्य द्वार राम हैं।योगी मुनि गृहस्थ सभी के,मुक्ता मणि कंठाहार राम हैंजप कर इनको याद करो ,या राम नाम का कर गायन राम नाम है पावन पावन ।आदर्श सभी का रामचरित है ।करुणा , दया ,नीति निहित है ।संबंधों का

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जय श्री राम

जय श्रीराम, जय श्रीरामजय श्री राम, जय श्री राम—बोलो—जय श्रीराम, जय श्रीरामजय श्री राम, जय श्री राम।। प्रभु नाम के सिमरन से हीबनते सबके हर एक काम।सिमरन मे अलौकिक शक्तिजैसे हो जाऐं तीरथ चारोधाम।। जय श्रीराम, जय श्रीरामजय श्री राम, जय श्री राम—बोलो—जय श्रीराम, जय श्रीरामजय श्री राम, जय श्री राम।। मझधार कभी उलझ जाओआंख

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