वीर हनुमान
जन्मोत्सव हम मना रहे हैं,
महावीर हनुमान का।
माँ अंजना के पुत्र है प्यारे
पवन पुत्र बलशाली इतने
पवन से भी तेज उडे़।
अद्भुत अविरल करतब करके
बाल्यकाल की यात्रा कर ली
लड्डु और चुरमे की थाली
झट पट में ही चट कर दी
सुरज को मुख में बंद किया,
मीठा फल समझ कर के ।
अंधकारमय हो गई धरती
त्राहि त्राहि मच गईं पृथ्वी पर।
सिर पर प्रहार किया ब्रह्मा ने,
झट से मुंह से सूर्य निकल पड़े।
राम भक्त हनुमान हमारे,
जन जन का कल्याण करे।
ऋषियों को भी बहुत सताया,
ऋषियों ने उनकों श्राप दिया।
शक्ति भूल जायेगें महाबली,
जब भी शक्ति का काम पडे।
सुग्रीव से मित्रता निभाई,
प्रभु श्रीराम की शरण ले ली।
सीता को हर ले गया जब रावण,
हनुमान जी को लंका भेजने को,
जामवंत जी ने शक्ति याद कराईं।
जा रहे थे जब हनुमान जी,
सुरसा ने रास्ता रोक लिया ।
खाना चाहतीं थीं हनुमंत को,
सुक्ष्म रुप धर लिया प्रभु ने।
मुंह के अंदर जा कर बाहर आये,
सुरसा से आर्शीवाद लिया।
अशोक वाटिका में माँ से मिल कर,
फल खाने की आज्ञा ली।
जिसने भी रोका था उनको,
उन सब का संघार किया।
मेघनाद ने नागपाश चलाया,
प्रभु ने उसका सम्मान किया।
बंध गए और महल में आये,
मुक्त हुए बंधन से फिर।
लंका का दहन किया बजरंग ने
अद्भुत लीलाये कर डालीं।
प्रभु श्रीराम के प्रिय भक्त बने,
सीता के मांग में सिंदूर देख कर,
पूछा माता से ,सिंदूर क्यों लगाया।
प्रभु की उम्र बढेगी इससे
माता ने ऐसा बतलाया
बिना एक छण रुके प्रभु ने,
सिंदूर का लेपन कर डाला।
ऐसे भक्त हनुमान जी को,
हम सब का लाखों लाख प्रणाम।
किरनअग्रवाल
प्रतापगढ़ यूपी
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