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| राममयी – चौपाई |

| राममयी – चौपाई | 1रघुकुल का फिर मान बढ़ाया। दशरथ ने हर बचन निभाया। 2बिछोह राम का सह नहीं पाये।प्राण गंवा कर बचन निभाये।। 3राम खड़ाऊ शीश लगाई।दीखा नहीं भरत सम भाई ॥ 4राम, लखन शबरी के द्वारे।भाग्य जगा लेकर उजियारे ।। डा. जयसिंह आर्य

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| चन्द्र राममयी-चौपाई।

| चन्द्र राममयी-चौपाई। 1 बनकर सूरज का उजियाराजग में चमका राम हमारा 2मात-पिता का मान बढ़ायाऐसा था रघुकुल का जाया 3हनुवत ने भी चीर दिखाया सीने में प्रभु राम समाया 4आदर्शों का सच्चा जायामानस – मानस राम समाया डा. जयसिंह आर्य

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आठों याम राम हैं

बसंत कुमार शर्माजबलपुर श्रावणी फुहार सर्दियों की घाम राम हैं.काम अर्थ धर्म मोक्ष चारों धाम राम हैं. भक्त के लिए तो राम हैं प्रतीक प्रेम का, नाक में नकेल दुष्ट को लगाम राम हैं. जानकी के उर में जो विराजमान हैं सदा, दूसरा न कोई और राम, राम, राम हैं. शक्ति है अपार पा सका

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