रामसेतु़…
जोर-शोर से बात चली है,के राम ने रामसेतु,बनाया की नहीं !! अरे !कोई इन नादानों से पूछे,कि क्या कुछ ऐसा है,जिसे राम ने बनाया नही. माधुरी ‘अदिति’
जोर-शोर से बात चली है,के राम ने रामसेतु,बनाया की नहीं !! अरे !कोई इन नादानों से पूछे,कि क्या कुछ ऐसा है,जिसे राम ने बनाया नही. माधुरी ‘अदिति’
राम आदर्श,जो हर क्षण देते,हैं परामर्श । राम हमारे।सूरज जैसे तेज,कितने प्यारे। राम हैं धर्म,भारत की है शान ,देश की आन। राम है सत्य ,रावण हैअसत्य ,जो है वीभत्स। राम भजनकरें मन आंगन,धूप चंदन। राम के भक्त,होते नहीं आसक्त,यह है सत्य। सत्य की जीत,असत्य की हो हार,यही है रीत। राम लखन,सरिता जैसा मनकष्ट हरन।
श्री राम पर हाइकू,,, Read More »
मंदिर ऐसा बनेगा अवध में,जो बस जाएगा सबके मन में। ऐसी ऊंची इमारत बनेगी,जिसकी चोटी दिखेगी गगन में,मंदिर ऐसा बनेगा अवध में।जो बस जाएगा सबके मन में। ऐसी मूरत सजेगी भवन में,जो बस जाएगी हर नयन में,मंदिर ऐसा बनेगा अवध में।जो बस जाएगा सबके मन में। ऐसी जगमग होगी भवन में,जैसे तारों की झिलमिल गगन
भक्तवत्सल राम राघव, दुश्मनों का नाश कर दो।हो धरा खुशहाल अब तो,शांति अरु सद्भाव भर दो॥ताड़का का वध करो अब,शांति का सोपान धर दो।कष्टकारी शक्तियों का, मूल से अब नाश कर दो॥ अब धरा पर पाप का नित,बोझ बढ़ता जा रहा है।झूठ का है बोलबाला, सत्य मुँह की खा रहा है॥शांति गायब है घरों से,
रामलला ,गीत 16,14धन्य हुआ भारत अपना है,जगमग सारा महक रहा।राजा दशरथ के घर जन्में,अयोध्या अब चहक रहा।। युगो युगो तक राह तकी जब,राम पधारे है प्यारे।मंगल गाए मिल नर नारी,छवि देख बलैया वारै।।आज महोत्सव अवध मनाए,दिवाली सा चमक रहा।लखन जानकी संग चले दो,महल अंगना दमक रहा।धन्य.. घर घर बजते ढोल नगाड़े,रंगोली घर द्वार सजी।झूम झूम
राम स्तुति जग के तारन हार मेरे राम जीकरुणा का भंडार मेरे राम जी दशरथ नंदन जब जन्मे थेनगर अयोध्या सब हरषे थेनज़र उतारे कैकयी मैयाहिय हरषे कौशल्या मैयाकरें शृंगार सुमित्रा मैयाजीवन का उपहार मेरे राम जीजग के तारनहार मेरे रामजी सीता को जब ब्याह कर लाएनयन जनक के भर भर आएमात सुनयना समझ न
राम राम भक्त का चरित्र राम, सज्जनों के मित्र राम,पावन पवित्र राम, राम को प्रणाम है।सर्वसंत प्रिय राम, भक्ति-भक्त हिय राम,भाव का अमिय राम, नाम सुखधाम है।राक्षसों का अंत राम, शक्ति में अनंत राम,प्रिय भगवंत राम, नाम शुभकाम है।प्रेम का स्वभाव राम, सुख का प्रभाव राम,मेरे मन बसे राम, राम, राम-राम हैं। शिवप्रभाकर ओझा…2 जे
जो आँखों में अभिलाषा थी, उसको पंख मिलेंगे अब।मंदिर राम विराजित होंगें,मन के पुष्प खिलेंगे अब। वसुधा स्वागत को तत्पर है,ईंट नींव को पाने को।बाँध पैजनियाँ नर्तन करके, प्रभु को खूब रिझाने को।अन्तस तक है लहर खुशी की,मंगल गायन करने को।अपने आँचल में प्रभु भक्ति, पूर्ण रूप से भरने को।जन-जन के चरणों की रज ही,उसका
मंदिर राम विराजित होंगे Read More »