भरत मिलाप
प्रभु श्री राम की
याद में काट तो लिया
भरत ने चौदह वर्ष
का वनवास ।
आने की खबर सुन
भरत को अब
एक-एक पल लगें
चौदह वर्ष समान ।
लिया प्रण भरत ने कि
त्याग दूंगा प्राण अगर
प्रभु ने देर की अब।
तभी हनुमंत प्रकट हुए
और बोले ….
जिनके विरह
में तडपते है दिन-रात आप
वो प्रभु सकुशल
लौट रहें अब।
ऐसी वाणी सुन हर्षाये भरत
बहने लगे
प्रेम के अश्रु ।
प्रभु के आगमन की खुशी में
खिल उठी
अयोध्या नगरी ।
देख प्रभु को गिरें
चरणों में भरत जी
ह्रदय में प्रेम समाता
नहीं ,
पुलकित हुआ शरीर।
उठाया भरत को
लगाया गले से प्रभु श्री राम ने
प्रीत का ऐसा मनोहर दृश्य देख
बरसाए फूल देवताओं ने
हुआ मिलन
भक्त और भगवान का।
अर्चना पांडेय
B-114
विजया अपार्टमेंट
अहिंसा खण्ड -2
इन्द्रिरापुरम
गाजियाबाद