राम जब जब मन में होगें
राम जब जब मन में होगें, मनदीप जलते ही रहेगेंविचार सुरभित होगें तब तब, पुष्प खिलते ही रहेगें अनिमष स्वीकार कर ली, आज्ञा अपने मात पिता कीसहर्ष त्यागा वैभव राजमहल का, राह पकड़ी संघर्षों कीजीता जिसने जब भी मन को, विजय मलहार उसी को मिलेगेंविचार सुरभित होगें तब तब, पुष्प खिलते ही रहेगें प्रभु राम […]
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