क्या राम की तरह जी पाओगे..
पथ प्रेम समर्पण का प्रियतम
संग संग हमको चलना होगा
मैं सीता सी बन जाऊँ अगर
क्या रघुवर तुम बन पाओगे..
क्या राम की तरह जी पाओगे…
कहो क्या एक पत्नी व्रत निभाओगे
नही कर सकते ऐसा तुम प्रियतम
सीता तो मिल जाती है कई
पर राम बनना आसन नही
मर्यादा क्या तुम कोई निभा पाओगे..
राम सा पुत्र बन पाओगे..
एक वचन के लिए 14 वर्ष वन में रहना
क्या शबरी के जुटे बैर खा पाओगे,
राम सा धैर्य,साहस,प्रेम,समर्पण,
भक्ति,कर्मठता कहाँ से लाओगे…
नही कर सकते ऐसा तुम प्रियतम।
मीता लुनिवाल “मीत”
जयपुर, राजस्थान