🙏🙏 जय श्री राम🙏🙏
मास-दिवस पथ तकते बीते, राम! कहो कब आओगे?
दर्शन के व्याकुल नैनों को, कबतक यूँ तरसाओगे?
प्राण-पखेरू उड़ जाएँगे, फिर भी आँखों को मेरी
अपलक अपनी राहें तकते, राम! हमेशा पाओगे
भाग्य न पाया केवट जैसा, श्रद्धा भी शबरी जैसी
फिर भी मन कहता है राघव! तुम मुझको अपनाओगे
चरणों की रज छूने भर से, पाहन तक तर जाते हैं
हे प्रभु! मुझ जड़वत पत्थर को, किस दिन चरण लगाओगे?
नाम लिखा था जिस पत्थर पर, वह सागर में तैर गया
इस तरणी पर भव-सागर में, मुझको कब तैराओगे?
मास-दिवस पथ तकते बीते, राम! कहो कब आओगे?
दर्शन के व्याकुल नैनों को, कबतक यूँ तरसाओगे?
जय श्री राम
🙏🙏🙏🙏🙏
-डीपी सिंह