जय रघुकुल भूषण रामभद्र
लोकाभिराम श्री राम नमन।
हे हंस-वंश अवतंस श्रेष्ठ
अखिलेश्वर, पूरणकाम नमन।।
शरणागत वत्सल, दीनबंधु
पुरुषार्थ,प्रेम के परम धाम।
सायुज्य मुक्ति करता प्रदान
ऐसा पावन श्री राम-नाम।।
हे पुरुषोत्तम करुणा-निधान
आजानुबाहु अभिराम नमन।
हे हंस-वंश अवतंस श्रेष्ठ
अखिलेश्वर, पूरणकाम नमन।।
त्यागी, अनुरागी, तपोनिष्ठ
श्री राम एकता के प्रतीक।
जिनके अंतर्मन में रहते
अविराम अहर्निश मर्मरीक।।
शुचिता,सहिष्णुता,सत्व,शील
मर्यादा के सुखधाम नमन।
हे हंस-वंश अवतंस श्रेष्ठ
अखिलेश्वर, पूरणकाम नमन।।
उत्सर्गों की परिपाटी के
अधिनायक प्रभु कौशल किशोर।
जिनकी मयंक छवि पर मोहित
वैदेही के लोचन चकोर।।
सच्चिदानंद आनंदकंद
राघव साष्टांग प्रणाम,नमन।
हे हंस-वंश अवतंस श्रेष्ठ
अखिलेश्वर, पूरणकाम नमन।।
आसक्ति-सिंधु में नाव फँसी
जकड़े किंकर को भव बंधन।
कल्मष,कषाय से मुक्त करो
हे कृपायतन, दशरथ नंदन।।
है चरण-शरण दासानुदास
करता नित आठों याम नमन।
हे हंस-वंश अवतंस श्रेष्ठ
अखिलेश्वर, पूरणकाम नमन।।
——-विजय बागरी ‘विजय’