कैकेयी की व्यथा!

कटु तंज, सहे ना अब जाते,
ये तीक्ष्ण वचन ना उर भाते,
जग ने माँ का अपमान किया,
माँ ममता को बदनाम किया,

हे राम ! उचित कथ्य दे दो,
मातृत्व बचें, सत्य कह दो।

हर ओर निराशा ने घेरा,
अपराध बतादो तुम मेरा,
मैंने अपराध किया था क्या?
तुमको वनवास दिया था क्या?

हे राम ! उचित तथ्य दे दो
मातृत्व बचें, सत्य कह दो।

सुत प्रश्नों का, उत्तर क्या दूँ,
वनवास दिया कैसे कह दूँ,
क्या कह कर उसे भुलाऊँ मैं
कैसे उसको समझाँऊ मैं,

हे राम ! भ्रम को पथ दे दो,
मातृत्व बचे , सत्य कह दो।

कब माता हुई कुमाता है?
यह प्रश्न आज क्यों आता है?
माँ प्रेम भला सुत छलता है?
कैसे विश्वास मचलता है?

हे राम ! मात अक्षय कह दो,
मातृत्व बचे, सत्य कह दो।

जो रक्त सींच, अंकुर बोती,
सुत के कारण जीवन खोती,
जिसको अमि-क्षीर पिलाती है,
जीवन कह गले लगाती है,

हे राम ! माँ जय-जय कह दो,
मातृत्व बचे सत्य कह दो।

हेमराज सिंह ‘हेम’ कोटा राजस्थान
मौलिक