lord shri ram
Mahesh Sharma
वीर हनुमान जन्मोत्सव हम मना रहे हैं,महावीर हनुमान का।माँ अंजना के पुत्र है प्यारेपवन पुत्र बलशाली इतनेपवन से भी तेज उडे़।अद्भुत अविरल करतब करकेबाल्यकाल की यात्रा कर लीलड्डु और चुरमे की थालीझट पट में ही चट कर दी सुरज को मुख में बंद किया,मीठा फल समझ कर के ।अंधकारमय हो गई धरतीत्राहि त्राहि मच गईं
परिवार साथ ले विराजियेगा मन्दिर ही,भक्त देखते रहेंगे दिल के प्रदेश में।काम,क्रोध,मोह,मद,द्वेष का विकार भागे,शान्ति,सद्भाव फैले पूरे परिवेश में।शब्द का बनाके पुष्प उन्हें ही चढ़ा रहे हैं,लोग ब्रम्ह देखते हैं जिस अवधेश में।विनती यही है जब गृह में करें प्रवेश,रामराज्य लाना मत भूलियेगा देश में। करुनानिधान, भक्तवत्सल पुकारें लोग,सत,चित,आनंद बताते घनश्याम हैं।निर्गुण वो किन्तु धर्म
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भजन-देख सुंदर छवि को सियाराम की,मन में आनंद ही आनंद मुझे ( हमे) आ रहा, 1 .राम कोमल हे एक पंखुड़ी की तरह,शिव चाप है भारी जनक प्रण भी है,देख करके यू सीता करे प्रार्थना,गणनायक स्वीकारो मेरी प्रार्थना।(टेक) राम पल में उठे हे गुरु प्रार्थना, उमाशंकर की देखो करे प्रार्थना, पल में तोड़ा प्रभु ने
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| राममयी – चौपाई | 1रघुकुल का फिर मान बढ़ाया। दशरथ ने हर बचन निभाया। 2बिछोह राम का सह नहीं पाये।प्राण गंवा कर बचन निभाये।। 3राम खड़ाऊ शीश लगाई।दीखा नहीं भरत सम भाई ॥ 4राम, लखन शबरी के द्वारे।भाग्य जगा लेकर उजियारे ।। डा. जयसिंह आर्य
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| चन्द्र राममयी-चौपाई। 1 बनकर सूरज का उजियाराजग में चमका राम हमारा 2मात-पिता का मान बढ़ायाऐसा था रघुकुल का जाया 3हनुवत ने भी चीर दिखाया सीने में प्रभु राम समाया 4आदर्शों का सच्चा जायामानस – मानस राम समाया डा. जयसिंह आर्य
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बसंत कुमार शर्माजबलपुर श्रावणी फुहार सर्दियों की घाम राम हैं.काम अर्थ धर्म मोक्ष चारों धाम राम हैं. भक्त के लिए तो राम हैं प्रतीक प्रेम का, नाक में नकेल दुष्ट को लगाम राम हैं. जानकी के उर में जो विराजमान हैं सदा, दूसरा न कोई और राम, राम, राम हैं. शक्ति है अपार पा सका