june

बुला रही है आज अयोध्या

बुला रही है आज अयोध्या सबको अपने धाम को,दिव्य बन रहा मन्दिर आकरदेखो प्रभु श्री राम को, बहुत दिनों तक अपने रामजीघर का सपना देख रहे थे,पर अपने लोगो मे ही कुछ रोटी उस पर सेंक रहे थे,कोई कहता राम नही थे,ना माने अयोध्या धाम को, दिव्य बन रहा मन्दिर आकरदेखो प्रभु श्री राम को,।। […]

बुला रही है आज अयोध्या Read More »

राम रस

राम भरत लखन शत्रुध्न।दशरथ के हैं जाए लाल ||औधड़- तड़का मारन राम |अहिल्या – शिला तारण राम।। सीता विवाह करन को गए।शिव-धनु तोड़, परषु-क्रोधित भए ।।चारों भ्रात लेआए रानियाँ।शुभ लगन की पावन घड़ियाँ || सीत लखन संग चले सो वन को ।चौदह बरस कहे दो पल को ।।केवट परम भगत जग देखा।प्रभु की नाव भगत

राम रस Read More »

राम वो है जो वचनों के आज्ञाकारी हैं

राम वो है जो वचनों के आज्ञाकारी हैं।राम वो है जो जगत के त्रिपुरारी हैं।।राम वो है जो खुद रवि सा ताप हैं ।राम वो है जो गीत का अलाप हैं।।राम वो है जो शबरी के झूठे बेर खाते हैं।राम वो है जो विभीषण को गले लगाते हैं।।राम वो है जो सभी का मान बढाते

राम वो है जो वचनों के आज्ञाकारी हैं Read More »

जन जन के मन में बसे परम प्रभु श्री राम

जन जन के मन में बसे परम प्रभु श्री रामसबके मन को जानते,करते पूर्ण काम राम नाम संजीवनी ,देती यह पैगाम नेक कर्म कर बावरे, भली करेंगे राम राम सभी के हृदय में, कर लो तुम पहचानजब जब संकट में घिरे , आकर लेते थाम राम नाम अनमोल है,जपो सुबह और शामहल्दी लगे न फिटकरी,पाओगे

जन जन के मन में बसे परम प्रभु श्री राम Read More »

राम के दो अक्षरों में है छुपा ब्रह्मांड सारा

राम के दो अक्षरों में है छुपा ब्रह्मांड साराराम जी के रूप में ही ब्रह्म ने अवतार धाराशेषावतार लक्ष्मन शंकर सुवन हनुमान जीआदिशक्ति माँ सिया सँग हिय बसो श्रीराम जी राम अविनाशी अनश्वर श्रिष्टि के है परम् कर्ताराम ही हैं सत्य केवल भक्तवत्सल विघ्नहर्ताश्री हरी कोडंड धारी जगत पालक दिव्य शक्तिश्री राम प्रभु के चरण

राम के दो अक्षरों में है छुपा ब्रह्मांड सारा Read More »

काश मैं राजा न होता

लोगों ने मुझको दोष दिया कि इक धोबी के कहने से,मैंने सीता को छोड़ दिया।क्या कभी किसी ने सोचा कि मेरे दिल पर क्या बीती थी? नहीं पता था राजा होने की कीमत कुछ ऐसी थी।अय काश मैं राजा न होता। राजा होने की कीमत में, पत्नी को मैंने त्याग दिया।पर उसकी याद को अपने

काश मैं राजा न होता Read More »

राम मृदु छंद हैं,राम अनुप्रास हैं

राष्ट्र की देह में राम ही साँस हैं ।देवता भर नहीं राष्ट्र विन्यास हैं। हाँ! पराजित लगे न्याय क्षण के लिए ।सत्य की हो भले कोटि अवहेलना ।जीत जाए मृषा किन्तु संभव नहीं ,सिद्ध लो हो गया ,हत हुई वंचना ।लौटते सत्य की हाथ में ले ध्वजा-धैर्य से काटकर राम वनवास हैं। देवता भर नहीं

राम मृदु छंद हैं,राम अनुप्रास हैं Read More »

राममय

जलता रहा में दीप सा ,आगमन को प्रभु राम के ,काया दिया, बाती ये जीवन ,साँसें हैं मनके नाम के ।। राम बस जीवन में उतरें,हर कर्म मर्यादित रहे ,भक्ति हनुमत सी मिले ,ये हृदय आह्लादित रहे ।। राम से मेरी सुबह हो ,राम से ही हर शाम हो ,जीवन सफर जब ये थमे,राम, जिव्हा

राममय Read More »

“श्रीराम”

पहचानो कण-कण में इस नाम को।आए कोई बाधा या विपत्तियाद करो श्रीराम को।। क्योंकि राम पुत्र एक आज्ञाकारी हैं, श्रेष्ठतम भाई हैं, एक आदर्श पति हैं।श्रीराम मर्यादा पुरूषोत्तम नजर आते हैं।। क्योंकि राम सबके मित्र हैं, रक्षक हैं,प्रजा पालक हैं, राम सत्य पोषक हैं।श्रीराम राजा के रूप में सबके मन को भाते हैं।। क्योंकि राम

“श्रीराम” Read More »

”आदि-मध्य-अंत”

हृदयाकाश में विचरण करते तुम खिलते कमल-सी सुबह हो प्रियवर ।व्यतीत हुए भ्रम में समस्त निश-दिवसआतुर हैं जानने हेतु, ईश हो या नर।। काल-पग-चाप, सुन मन आलापथिरक-थिरक मेघ घन उतरे।मरुस्थली बादामी धरा कण-कणभीग गए मन के कतरे-कतरे।। बेकल-बेबस फड़फड़ाते व्योम-खग स्वप्न-नगरी के दुर्ग ध्वस्त।तोड़ सीमा-बंधन ज्वलंत विचार हर युग करते मार्ग प्रशस्त।। बहते जलधारा से

”आदि-मध्य-अंत” Read More »