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मेरे राम

तुम ही मेरे कृष्ण कन्हैया,तुम ही मेरे राम ।तुम ही बसे हो रोम रोम में,सदा जपूं तेरा नाम।मेरे राम, मेरे राम । माया ने मुझको भरमाया।विषय वासना ने उलझाया।बचा सको तो तुम ही बचा लो,सकल संवारो काम।मेरे राम, मेरे राम। भवसागर में जीवन नैया।तुम ही बन आओ खिवैया।नैया पार लगा दो गुरुवर,मेरे जीवन धाम।मेरे राम, […]

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जंगल जंगल भटक रहे हैं रघुकुल के दो राजकुंवर

जंगल जंगल भटक रहे हैं रघुकुल के दो राजकुंवर।पूछ रहे हैं वन जीवों से जनक दुलारी गई किधर। पैर खड़ाऊ से वंचित और मुकुट नहीं है मस्तक पर ।वल्कल वस्त्रों में दमके ज्यों स्वर्ण लगा हो पुस्तक पर।राम लखन दोनों के दोनों हमको तो रणधीर लगें।एक हाथ में बाण लिए है एक हाथ है लस्तक

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बुला रही है आज अयोध्या

बुला रही है आज अयोध्या सबको अपने धाम को,दिव्य बन रहा मन्दिर आकरदेखो प्रभु श्री राम को, बहुत दिनों तक अपने रामजीघर का सपना देख रहे थे,पर अपने लोगो मे ही कुछ रोटी उस पर सेंक रहे थे,कोई कहता राम नही थे,ना माने अयोध्या धाम को, दिव्य बन रहा मन्दिर आकरदेखो प्रभु श्री राम को,।।

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राम रस

राम भरत लखन शत्रुध्न।दशरथ के हैं जाए लाल ||औधड़- तड़का मारन राम |अहिल्या – शिला तारण राम।। सीता विवाह करन को गए।शिव-धनु तोड़, परषु-क्रोधित भए ।।चारों भ्रात लेआए रानियाँ।शुभ लगन की पावन घड़ियाँ || सीत लखन संग चले सो वन को ।चौदह बरस कहे दो पल को ।।केवट परम भगत जग देखा।प्रभु की नाव भगत

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राम वो है जो वचनों के आज्ञाकारी हैं

राम वो है जो वचनों के आज्ञाकारी हैं।राम वो है जो जगत के त्रिपुरारी हैं।।राम वो है जो खुद रवि सा ताप हैं ।राम वो है जो गीत का अलाप हैं।।राम वो है जो शबरी के झूठे बेर खाते हैं।राम वो है जो विभीषण को गले लगाते हैं।।राम वो है जो सभी का मान बढाते

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जन जन के मन में बसे परम प्रभु श्री राम

जन जन के मन में बसे परम प्रभु श्री रामसबके मन को जानते,करते पूर्ण काम राम नाम संजीवनी ,देती यह पैगाम नेक कर्म कर बावरे, भली करेंगे राम राम सभी के हृदय में, कर लो तुम पहचानजब जब संकट में घिरे , आकर लेते थाम राम नाम अनमोल है,जपो सुबह और शामहल्दी लगे न फिटकरी,पाओगे

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राम के दो अक्षरों में है छुपा ब्रह्मांड सारा

राम के दो अक्षरों में है छुपा ब्रह्मांड साराराम जी के रूप में ही ब्रह्म ने अवतार धाराशेषावतार लक्ष्मन शंकर सुवन हनुमान जीआदिशक्ति माँ सिया सँग हिय बसो श्रीराम जी राम अविनाशी अनश्वर श्रिष्टि के है परम् कर्ताराम ही हैं सत्य केवल भक्तवत्सल विघ्नहर्ताश्री हरी कोडंड धारी जगत पालक दिव्य शक्तिश्री राम प्रभु के चरण

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काश मैं राजा न होता

लोगों ने मुझको दोष दिया कि इक धोबी के कहने से,मैंने सीता को छोड़ दिया।क्या कभी किसी ने सोचा कि मेरे दिल पर क्या बीती थी? नहीं पता था राजा होने की कीमत कुछ ऐसी थी।अय काश मैं राजा न होता। राजा होने की कीमत में, पत्नी को मैंने त्याग दिया।पर उसकी याद को अपने

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राम मृदु छंद हैं,राम अनुप्रास हैं

राष्ट्र की देह में राम ही साँस हैं ।देवता भर नहीं राष्ट्र विन्यास हैं। हाँ! पराजित लगे न्याय क्षण के लिए ।सत्य की हो भले कोटि अवहेलना ।जीत जाए मृषा किन्तु संभव नहीं ,सिद्ध लो हो गया ,हत हुई वंचना ।लौटते सत्य की हाथ में ले ध्वजा-धैर्य से काटकर राम वनवास हैं। देवता भर नहीं

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राममय

जलता रहा में दीप सा ,आगमन को प्रभु राम के ,काया दिया, बाती ये जीवन ,साँसें हैं मनके नाम के ।। राम बस जीवन में उतरें,हर कर्म मर्यादित रहे ,भक्ति हनुमत सी मिले ,ये हृदय आह्लादित रहे ।। राम से मेरी सुबह हो ,राम से ही हर शाम हो ,जीवन सफर जब ये थमे,राम, जिव्हा

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