2024-02

जनक छंद

जनक छंद**** तन, मन, धन, इज़्ज़त, भवन,ये मेरे किस काम का,सब मेरे प्रभु राम का। कैकेयी के पूर्ण अब,होंगे सारे जाप भी,कट जाएँगे पाप भी। कौशल्या के दो नयन,रस्ता देखें राम का,समय निकट परिणाम का। सिया-लखन को साथ ले,लौट रहे श्रीराम हैं,ले हाथों में हाथ ले। पल-पल, रह-रह, बिन थके,बाट जोहती राम की,प्रजा अयोध्या धाम […]

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रामजी का नाम भजो

रामजी का नाम भजो, राम राम राम जपो। राम की कृपा से सारे, काम बन जाएँगे।। वाणी दृष्टि में हैं राम, स्वर गंध में हैं राम।रोम-रोम मेरे नित, राम जी को ध्याएँगे।। राम एक-एक श्वास, राम से है हर आस।राम मय हो के सदा, राम धुन गाएँगे।। मेरे आदि अंत राम, यूँ तो हैं अनंत

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धरती-अम्बर-कुदरत झूमे, रामलला जो आ रहे।

धरती-अम्बर-कुदरत झूमे, रामलला जो आ रहे।जन-जन में जागृति रा’म की, गीत राम के गा रहे।त्रेता युग-सा भान हुआ है, भारत माँ फिर जी उठी….पग-पग झण्डा भगवा का सब, भगवा में रँग जा रहे। माघ मास तुम धन्य हुए हो, कर जोड़कर करूँ प्रणामआओ स्वागत को आतुर हूँ, छोड़ बैठी हूँ निज काम इंतजार में सदियां

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राम जी की वंदना मे चार आख़र कह सकूँ

जय श्री राम🙏🏻 जय श्री राम🙏🏻 राम जी की वंदना मे चार आख़र कह सकूँ अपने अंतर्मन की पावन भावना मे बह सकूँ है अभिलाशा प्रभु के सब चरण वंदन करेंतन तो मिट्टी है परन्तु आत्मा चंदन करेंराम जैसा मन बने तो राम जैसा तन बनेशांतनु गर हम बने तो पुत्र भी सरवन बनेदो प्रभु

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कैकेयी ने फूल दिये कांटों की डगर नहीं

कैकेयी ने फूल दिये कांटों की डगर नहींकब राम हो गये राम, राम को खुद भी खबर नहीं राजतिलक की सुन तैय्यारी कैकेयी घबराईकहीं भटक ना जाये निज उद्देश्य से रघुराईअगर हो गया राजतिलक रघुवर बंध जायेगेधरती को कैसे दुष्टों से मुक्त करायेंगेदुनिया देगी ताना पर उद्देश्य ना जानेगीराम हमें हैं जान से प्यारा वो

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राम ही हैं

🚩”राम भक्त अधिक से अधिक भक्तों तक यह कविता पहुंचाएं”🚩🚩🚩जय श्री राम🚩🚩राम ही हैं आधार हमारे राम सभी के प्यारे हैंभवसागर जो पार कराकर करते हमें किनारे हैं शौर्य ऊर्जा के परिचायक राम ही असली नायक हैंमर्यादा पुरुषोत्तम वो इस संस्कृति के अधिनायक हैं राम के ऊपर कोई टीप्पणी करने वाला पापी हैजीने का अधिकार

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!! राम श्वांस श्वांस है !!

!! राम श्वांस श्वांस है !! राम सबके साथ है, राम ही की आस है।राम सबके प्राण है, राम श्वांस श्वांस है।। श्वास में प्रश्वास में, राम ही प्रभास है,राम के भजन बिना, मेरा मन उदास है।तेरे मेरे राम है, राम ही से काम है।धूप छांव में है राम, नाम गाम राम है।राम बिना जग

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मैंने तुझको सुमिरा रामअलका सिन्हा

  जब भी कोई विपदा आई, मैंने तुझको सुमिरा राम। जो तुम मेरी जगह पे होते, कैसे राघव लोहा लेतेकैसे मर्यादा को रचते, कैसे करते पूरे काम। वन-वन भटके राजभवन से, राज प्रतिज्ञा की खातिरछोड़ राजसी ठाठ-बाट सब, बने नागरिक आम। शबरी के जूठे बेरों में, थी मिठास तूने बतलायाहै कितना अनमोल भाव यह और

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