!! राम श्वांस श्वांस है !!
राम सबके साथ है, राम ही की आस है।
राम सबके प्राण है, राम श्वांस श्वांस है।।
श्वास में प्रश्वास में, राम ही प्रभास है,
राम के भजन बिना, मेरा मन उदास है।
तेरे मेरे राम है, राम ही से काम है।
धूप छांव में है राम, नाम गाम राम है।
राम बिना जग में क्या, राम ही तो रास है।
राम सबके साथ है राम ही की आस है।।
राम जिस जगह गए तीर्थ बने भाव में,
केवट की नांव में ऋषियों के थांव में। शबरी के बेर में, ऋषि अस्थि ढेर में।
पंचवटी गोतमी बरगद के घेर में।।
राम आप्त व्याप्त हैं, राम आस पास हैं।
राम सबके साथ हैं राम ही की आस है।।
रामेश्वर धाम जहां मिटते सब श्रांत है,
मृतिका शिव लिंग जहां रत्नाकर शांत है।
राम सेतु थाप कर, लखन भ्रात साथ है।
लंका पर कूच किया, धनुष बाण हाथ है⁷।
स्वयं जहां जीत भी, राम जी की दास है।
राम सबके साथ हैं, राम ही की आस है।
राम सबके प्राण है, राम श्वांस श्वास है।
स्वागत में राम हैं, विदाई में भी राम हैं,
अंत समय में भी देखो राम बोल राम है।
राम के बगैर जग, ये सारा सुनसान है,
राम नाम लिख जहां, वो ही चारो धाम है।
राम रोम रोम में है, राम ही विलास है।।
राम सबके साथ हैं, राम ही की आस है।
राम सबके प्राण है, राम स्वांस स्वांस है।।
डॉ.शिवदत्त शर्मा “शिव”
जयपुर राजस्थान।