Shri Rammandir Kavya

चौपई/जयकरी छंद मेरे राम

चौपई/जयकरी छंदमेरे राम मनभावन सुखदायक नाम,श्री सुरनायक मेरे राम।दिव्य अयोध्या जिनका धाम,नाम जपें बन जाए काम।। हर युग में ले कर अवतार, दुष्टों का करते संहार।जनक नन्दिनी इनके वाम,दीन-दुखी को लेते थाम।। मंगल मूरत संयत काज,भक्त-हृदय पर करते राज।मर्यादा पुरुषोत्तम राम ,उन से बढ़ कर उनका नाम।।छवि देखें अरु करते जाप,कष्ट मिटे कट जाएँ पाप।कलयुग […]

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नगरी हो अयोध्या सी

नगरी हो अयोध्या सी सरयू तट का होय किनारा,चन्द्रप्रभा शुभ निर्मल सी।पुष्प बिखेरें सौरभ हर्षित,हो पुण्य धरा ये शीतल सी।। रवि का हो आलोक चतुर्दिक,सूर्यवंश का आदिदेव है।प्रकृति मनोहर लगती हरदम,छटा बिखेरे नई स्वमेव है।। शीतल, सुखद बयारि चलै इत,मज्जन-पान, पाप हरते।सरयू निर्मल तीर अयोध्या,में हर्षित प्राणी रहते।। गली-गली सुरभित, पावन है,जीवन-पुण्य धरा पर है।करेंगे

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🌹🔔“राम-राष्ट्र-मन्दिर”🔔🌹

  🌹🔔“राम-राष्ट्र-मन्दिर”🔔🌹सौगन्ध राम की खाई थी,और मन्दिर वहीं बनाया है।जो स्वप्न देखा था भारत ने,उसको साकार बनाया है।संघर्ष पाँच सौ वर्षों का,पर हमने धैर्य दिखाया है।जो रामलल्ला का आँगन था,उन्हें ठुमक वहीं पे चलाया है।लल्ला के पाँव में पैजनियाँ,पैजनियाँ वहीं बजाया है।संघर्ष चला लंबा लेकिन,रामलल्ला को वहीं बिठाया है।लल्ला के मंदिर संग संग,राष्ट्र मंदिर भी

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रामनवमी विशेष

रामनवमी विशेष सगर कुल दशरथ व्यथित, कैसे कुल चल पायेगा, तीन शादियाँ करके भी, दशरथ निःसंतान रह जायेगा? मन की पीड़ा निस्तारण हित, गुरू वशिष्ठ को बतलाया, गुरूजनों ने यज्ञ विकल्प, सन्तान सुख हित बतलाया। उचित समय पर चार पुत्र, दशरथ के घर में आये, अयोध्या में उत्सव भारी, जन जन जिससे हर्षाये। राम लखन

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राम राम तो किया बहुत है

राम राम तो किया बहुत है, राम मगर क्या बन पाए हो चलते चलते थक जाते हो, राम के पथ क्या चल पाए हो कंटक भरे हैँ पथ पर किन्तु,,, सहर्ष राम चल देते हैँ राम ही तो हैँ, स्वयं ही जो बस ,श्री राम को बल देते हैँ क्या सागर पर सेतु बन कर

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पीडा राम की

” पीडा राम की “ रावण विजय का उल्लास ,भर गया आर्त नाद में वानर भालू का आह्लाद ,कर दिया भंग राम के एक वाक्य ने । रुक जाओ सिया ,पहले दो अग्नि परीक्षाफिर पाओ बाम भाग । अनेको उल्कापात ,आन पड़े धरती पर।जो धरती भारहीन ,हुई रावण वध से डूब गई धरातल में ।

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राम जनम की शुभ घड़ी आयी

“राम जनम की शुभ घड़ी आयी “ आयी देखो आयी , आयी शुभ घड़ी आयी है राम जनम की शुभ घड़ी आयी है नवमी तिथि और शुक्ल पक्ष चैत्र की विष्णु जी के सातवें अवतार की आयी है आयी देखो आयी …राम जनम की … राम जी का जीवन उनके आदर्श दिखाता है सत्य ,नैतिकता

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अवध में आए हैं मेरे प्रभु राम रे

सखी दीवाली मनाओ सुबह-शाम रेअवध में आए हैं मेरे प्रभु राम रेढोल मंजीरों की सुनाओ री तान रेअवध में आए हैं मेरे प्रभु राम रे। मैं तो सदियों से देख रही बाट रे खोले बैठी हूं दिल के कपाट रेलला आएंगे तो चूमूंगी ललाट रेफूलों से सजेगा पूरा अयोध्या धाम रेअवध में आए हैं मेरे

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मुक्तक

अगर कुदरत न चाहे तो,समन्दर घट नही सकतासत्य को काटना चाहो,मगर वो कट नही सकताज्ञान की बह रही सरयू ,बुझाती प्यास जन जन कीअयोध्या में कभी बन्धुत्व,दिल से हट नही सकता ।। जहाँ कण कण में अमृत हो,वहाँ पारा नही होगाअयोध्या धाम का पानी,कभी खारा नही होगाये धरती आस्था की है,प्रेम की बह रही सरिताप्रभू

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राम सृष्टि सरकार दोहा छन्द

पावन दर्शन राम का, अवध पुरी शुभ धाम।भव संकट के ताप से, तारे प्रभु का नाम।। सरयू पावन नीर है, मुक्ति मोक्ष मय तीर।सकल अवध है राम मय, तज दूँ यहीं शरीर।। पूरित होती कामना,कटे कष्ट अविराम ।राम नाम अति शोभना, जपिये आठो याम। सीता के आराध्य प्रभु, निर्झर प्रीति अगाध।संचित श्रेष्ठ गुणांक हैं, शुभमय

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