Shri Rammandir Kavya

लंकेश्वर पड़े धरा पे, अभिमान सभी था नष्ट हुआ

लंकेश्वर पड़े धरा पे, अभिमान सभी था नष्ट हुआ,बल, बुद्धि निष्काम हुए, और अहंकार का मद टुटा, लखन सुमित्रा के लाला को, नाग राज निज के भ्राता को,आदेश हुआ रघुनन्दन का, जाओ प्रणाम करो रावण को, सुनकर लखन निस्तेज हुए, सोचा मन में ना बोल सके, उस कपटी के सम्मुख, मैं क्यूँ जाऊँ? कैसे ये […]

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प्रभु श्री राम

प्रभु श्री राम श्री राम हैं केवल शब्द नहीं सम्पूर्ण जीवन सार हैं। रोम रोम झंकृत राम हैं श्री राम जगत आधार हैं। मुनियों का सत्संग सानिध्यराम विराजित तत्वज्ञान। हैं मानस पृष्ठों पर अंकितराम नाम अनुपम आख्यान। यज्ञ कर्म कण कण राम हैंश्री राम बने प्रतिमान हैंराम नाम पावन सरयू जल। अम्बर बीच दिनमान है।

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राम तुम्हारी सतत खोज है

राम तुम्हारी सतत खोज है वेदना के विशाल व्योम में राम तुम्हारी सतत खोज है। हम शापित हैं दशरथ जैसेकैकेयी हुईं हैं इच्छाएँ वनवास सरीखा है जीवनहैं भरत प्रतीक्षा सी आशाएँ मृग मारीचिका के विलोम में राम तुम्हारी सतत खोज है। प्रणय प्रताड़ित हुआ सदा हीसूपर्णखा का भाग्य लिएहुआ जटायु मन का पाखीप्रेम प्रदीप्त वैराग्य

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ॐ हनुमते नमः

ॐ हनुमते नमः दिवस बजरंग का, भावमय उमंग का,भक्ति रस तरंग का, अहसास कीजिये।पर्व यह मना रहे, ध्यान मन लगा रहे,छवि हिय सदा रहे, आशीर्वाद दीजिये।चालीसा का पाठ कर, हनुमान ध्यान धर,राम नाम संग आप, जप कर लीजिये।कृपा सदा बनी रहे, छत्रछाया तनी रहे,भक्ति नित घनी रहे, कृपा रस पीजिये। कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा/उन्नाव/ शनिवार

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मुक्तिदाता

● मुक्तिदाता ● श्री राम सुन लो अरज मेरी, कामना पूरी करो।भव बंध काटो हे हरि, अब वेदना मेरी हरो।। हे मुक्तिदाता बोधमय, निज भवन में प्रभु पग धरो। विह्वल चकित अति हर्षिता, जीवन सफल मेरा हुआ।१। ये नयन देखेंगे पुनः, प्रभु राम की स्थापना।साक्षी बनूँ इस यज्ञ की, यूँ सुफल होगी कामना।। जो प्राण

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चौपई/जयकरी छंद मेरे राम

चौपई/जयकरी छंदमेरे राम मनभावन सुखदायक नाम,श्री सुरनायक मेरे राम।दिव्य अयोध्या जिनका धाम,नाम जपें बन जाए काम।। हर युग में ले कर अवतार, दुष्टों का करते संहार।जनक नन्दिनी इनके वाम,दीन-दुखी को लेते थाम।। मंगल मूरत संयत काज,भक्त-हृदय पर करते राज।मर्यादा पुरुषोत्तम राम ,उन से बढ़ कर उनका नाम।।छवि देखें अरु करते जाप,कष्ट मिटे कट जाएँ पाप।कलयुग

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नगरी हो अयोध्या सी

नगरी हो अयोध्या सी सरयू तट का होय किनारा,चन्द्रप्रभा शुभ निर्मल सी।पुष्प बिखेरें सौरभ हर्षित,हो पुण्य धरा ये शीतल सी।। रवि का हो आलोक चतुर्दिक,सूर्यवंश का आदिदेव है।प्रकृति मनोहर लगती हरदम,छटा बिखेरे नई स्वमेव है।। शीतल, सुखद बयारि चलै इत,मज्जन-पान, पाप हरते।सरयू निर्मल तीर अयोध्या,में हर्षित प्राणी रहते।। गली-गली सुरभित, पावन है,जीवन-पुण्य धरा पर है।करेंगे

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🌹🔔“राम-राष्ट्र-मन्दिर”🔔🌹

  🌹🔔“राम-राष्ट्र-मन्दिर”🔔🌹सौगन्ध राम की खाई थी,और मन्दिर वहीं बनाया है।जो स्वप्न देखा था भारत ने,उसको साकार बनाया है।संघर्ष पाँच सौ वर्षों का,पर हमने धैर्य दिखाया है।जो रामलल्ला का आँगन था,उन्हें ठुमक वहीं पे चलाया है।लल्ला के पाँव में पैजनियाँ,पैजनियाँ वहीं बजाया है।संघर्ष चला लंबा लेकिन,रामलल्ला को वहीं बिठाया है।लल्ला के मंदिर संग संग,राष्ट्र मंदिर भी

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रामनवमी विशेष

रामनवमी विशेष सगर कुल दशरथ व्यथित, कैसे कुल चल पायेगा, तीन शादियाँ करके भी, दशरथ निःसंतान रह जायेगा? मन की पीड़ा निस्तारण हित, गुरू वशिष्ठ को बतलाया, गुरूजनों ने यज्ञ विकल्प, सन्तान सुख हित बतलाया। उचित समय पर चार पुत्र, दशरथ के घर में आये, अयोध्या में उत्सव भारी, जन जन जिससे हर्षाये। राम लखन

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राम राम तो किया बहुत है

राम राम तो किया बहुत है, राम मगर क्या बन पाए हो चलते चलते थक जाते हो, राम के पथ क्या चल पाए हो कंटक भरे हैँ पथ पर किन्तु,,, सहर्ष राम चल देते हैँ राम ही तो हैँ, स्वयं ही जो बस ,श्री राम को बल देते हैँ क्या सागर पर सेतु बन कर

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