तुम ही मेरे कृष्ण कन्हैया,तुम ही मेरे राम ।
तुम ही बसे हो रोम रोम में,सदा जपूं तेरा नाम।
मेरे राम, मेरे राम ।
माया ने मुझको भरमाया।
विषय वासना ने उलझाया।
बचा सको तो तुम ही बचा लो,सकल संवारो काम।
मेरे राम, मेरे राम।
भवसागर में जीवन नैया।
तुम ही बन आओ खिवैया।
नैया पार लगा दो गुरुवर,मेरे जीवन धाम।
मेरे राम, मेरे राम।
सांसो की डोर टूट रही है।
जीवन आशा छूट रही है।
और नहीं कुछ सूझे मुझको,एक तुम्हारा ध्यान।
मेरे राम, मेरे राम।
यह जग सारा झूठा सपना।
मोह कहाँ किसका अपना।
जग के सारे बंधन झूठे,एक तुम ही निष्काम।
मेरे राम, मेरे राम।
मैं तो जन्म-जन्म की दासी।
मोह मुक्त कर दो अविनाशी।
बिन दर्शन के ना हो जाए,जीवन पथ में शाम।
मेरे राम, मेरे राम।
डॉ मुक्ता
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