राम सियाराम सियाराम जय जय राम
राम बसे है मेरे मन में, तन में, जीवन में,
राम बिना है सभी अधूरा, देखो इस जीवन में।
राम सियाराम सियाराम जय जय राम,
आंजनेय बिन राम अधूरे और राम बिन हनुमान है,
जीवन सारा उनको सौंपा पुरुषोत्तम महान है।
राम सियाराम सियाराम जय जय राम,
पिता वचन का पालन करते, वन को चले श्री राम है,
सीता मैया, लक्ष्मन भैया संग संग चलते साथ है।
राम सियाराम सियाराम जय जय राम,
वन में निशाचर मार किया है प्रभु जी ने उद्धार है,
दुष्ट दशानन ने छल से किया एक अपराध है,
राम सियाराम सियाराम जय जय राम,
मां सीता का करके हरण वो लिए विमान में भाग है,
प्रभु फिरे वन वन में जाके, मिला न कोई सुराग है।
राम सियाराम सियाराम जय जय राम।
वन वन फिरते प्रभु राम जी करते बड़ा विलाप है,
मारुति से प्रभु श्री राम का वन में हुआ मिलाप है।
राम सियाराम सियाराम जय जय राम,
लांघ समुद्र को हनुमत ने मैया का पता लगाया है,
जला के सारी लंका को हनुमान वापस आया है,
राम सियाराम सियाराम जय जय राम।
बैठ प्रभु के चरण में आके मां की सुध बतलाया है,
तब समुद्र पे सेतु बंधा कर लंका प्रभु को लाया है।
राम सियाराम सियाराम जय जय राम।
तब रावण का वध कर प्रभु ने विजय दिखाया है,
धर्म अधर्म से सदा बड़ा ये प्रभु ने हमे बताया है,
राम सियाराम सियाराम जय जय राम।
राम सियाराम सियाराम जय जय राम।
आकाश श्रीवास्तव
संपादक/संस्थापक
आकाश कविघोष