हनुमत काया स्वर्ण सी, पहने कुंडल कान ।
कुंचित केश घने दिखें , कर लो दर्शन ध्यान ॥
अंजनी पुत्र महाबली, महावीर हनुमान।
कष्ट हरें शंकर सुवन, रखें भक्त का मान ॥
बुद्धि ज्ञान बल से प्रबल , तीनो लोक प्रताप।
महाबली हनुमान हैं, दूर करें संताप ॥
नभ जल थल पाताल तक, असुर रहे भयभीत ।
क्रूर कपट मक्कार से , हनुमत रखें न प्रीत ॥
हाथ बज्र धारे ध्वजा , बांध जनेऊ मूँज ।
भूत पिशाच टिके नहीं, सुन बजरंगी गूंज ॥
साधु संत कुल हित बने , करें असुर संहार ।
रोग शोक विपदा सभी , हनुमत हरें विकार ॥
भक्तों का हित साधने , करते दुर्गम काज।
हनुमान के आशीष से , योगी करते राज ॥
राम कृपा हनुमत करें, करें राम हित काम।
बजरंगी खुश हो बहुत, जो ले हरि का नाम ॥
भक्तों के दुख दूर कर, देते धन बल मान ।
हर संकट से भक्त की , सदा बचाते जान ॥
भक्त विभीषण बच रहे, हुआ नाश लंकेश ।
सम्मति दी सुग्रीव को , कटे बालि के क्लेश ॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि गहें , सीता के वरदान ।
राम नाम जो भक्त लें, हनुमत दे धन मान ॥
अवधेश सिंह
9450213555