दोहे
प्रभु राम ने था लिया,त्रेता में अवतार
नाम तभी से पा रहा,जगती में विस्तार।।
मरा मरा जप ने किया,दूर समस्त अज्ञान
डाकू ने भी संत बन,बाँटा जग को ज्ञान।।
राम नाम इस पार है,राम नाम उस पार
राम नाम रटते रहो,तारक यह मझधार।।
खींच प्रत्यंचा धनुष पर ,दी थी जब ललकार
सागर चरणों में गिरा, करो राम उद्धार।।
राम नाम इस जगत को,देता है आधार
ज्ञान प्रेम वैराग का, सकल इसी में सार।।
रावण का संहार कर,किया परम उपकार
घर-घर में प्रभु राम की,तब से जय जयकार।।
राम-राम का नाम ही ,ब्रह्म ज्ञान आधार
जो श्रद्धा से जप करे,खुले मुक्ति का द्वार।।
पावन राम सुनाम का, जिह्वा से कर जाप
मिट जाएँ इससे सकल, दैहिक दैविक ताप।।
राम नाम ही सार है,राम परम सुखकार
सफल बनाए काम सब राम-राम उच्चार।।
कर्म करूं हरि को जपूँ, ले मनवा यह ठान
शरणागत हो राम की,मिटे सभी अझान।।
प्रदीप गर्ग ‘पराग’
1785 सेक्टर-16 फरीदाबाद
मो०. 9891059213