राम-राम सिया जय सिया राम
राम राम सिया जय सिया राम ।
भारत के कण-कण में राम,
जन – जन के हृदय में राम।
राम – राम की धुनि लगी है,
दिन और रात सुबह और शाम।
राम-राम सिया जय सिया राम,
राम राम सिया जय सिया राम।
राम नाम भव तारण हारा,
जो सुमिरे वह उतरे पारा ।
जीव जगत के हो तुम स्वामी,
सबके हो पालनहारा ।
राम-राम सिया जय सिया राम
राम-राम सिया जय सिया राम ।
राम नाम की महिमा न्यारी,
श्रापित नारी अहिल्या तारी।
जूठे बेर शबरी घर खाए,
भिलनी के वह मान बढ़ाए।
राम-राम सिया जय सिया राम
राम-राम सिया जय सिया राम
शोक , हर्ष , भय , प्रीति
ये सब है मानष के रोगा।
राम से जो लगाले प्रीति
उसको कभी न व्यापे रोगा।
राम-राम सिया जय सिया राम
राम-राम सिया जय सिया राम
ज्योत्स्ना सिंह
आगरा /उत्तर प्रदेश