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भरत

राज महल के सुख को त्यागाभ्राता की चरण पादुका पूजा।इस धरती पर भरत समानजन्मा नहीं कोई भाई दूजा।। चौदह वर्षों तक किया भूषितवस्त्रों वा मुकुट का परित्याग।चरण पादुका की पूजा करकेधारण किया सदा वैराग्य।। धरती पर ही सोये सदाबिस्तर का भी किया था त्याग।कंदमूल फल खाये हरदमअन्न का भी किया था त्याग।। राम लौट जब […]

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प्रभु हाथ पकड़ लो

है प्रभु अंतर्मन में अवगुण हमारे, प्रभु हाथ पकड़ लो ले लो तिहारे ।। जग पालनहार क्यों देर किए हो।मेरे हिय पट में तुम आन बसे हो।।पत्थर बने अहिल्या को पल में है तारे।निषाद सुग्रीव विभीषण मित्र हैं सारे।।प्रभु अंतर्मन में अवगुण हमारे, प्रभु हाथ पकड़ लो ले लो तिहारे । मैं मानव हूँ दर्शन

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जय मां शारदे

सवैया रामायण के चार छंद राग बिराग से दूर सदा मुनि कानन वास करैं सुख मानी ।ध्यान लगाय के योग को साधत राक्षस देंय महा दुख आनी ।।क्रोध करहिं नहिं ज्ञानी मुनि कछु कालहिं कालहिं है मुख जानी ।गाधि तनय मन कीन्ह बिचार हैं आज चले हरि सम्मुख ठानी ।। मुनि आवत है सुनि बिप्रन

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जय श्रीराम

सबसे मीठा राम का नाम सबसे मीठे जय सिया राम। आज्ञाकारी पुत्र श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम राम माता कौशल्या पिता दशरथ दोनों के दुलारे प्यारे राम । पति -धर्म निभाते रामपुत्र -धर्म निभाते राम राज- धर्म निभायालव -कुश के पिता राम । प्रिय भक्त हैं हनुमानछाती चीर बैठाए श्रीराम लक्ष्मण की जान बचाने को द्रोणागिरी

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हे राम।।

हे राम ये पूजा बहुत हुई,कानों को सुना टंकार ज़रा।तू तान प्रत्यंचा धनुष चढा,रावण है बढा, ललकार ज़रा। दुनिया सारी सोती जो रही,सीता अब तक रोती जो रही।शस्त्रों से सुसज्जित कदम बढ़ा,जगे दुनिया सुन झंकार ज़रा। हर पाँव क्यूँ ठिठका लगता है,मानव क्यूँ ईश ही तकता है।नहीं डर दानव मन आज रहा,चल दे तो बता

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राम

राम रमे हैं इस ब्रह्माण्ड में जानो तोअद्भुत सृष्टि नजारों को पहचानो तोराम प्रकृति की छाए हुए फिजाओं में पंच तत्व से निर्मित जग लीलाओं मेंराम साधना है भक्तों की सांसों की जपी तपी ज्ञानी ध्यानी विश्वासों कीराम विशुद्ध ज्ञान विज्ञान प्रदाता हैंइस संपूर्ण सृष्टि के भाग्य विधाता हैराम श्रेष्ठतम उपलब्धि के नायक हैंप्राणिमात्र के

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मेरे मन में बिराजो

मेरे मन में बिराजो आ कर राम मेरे तन में बिराजो आ कर राम।। मेरी सेवा तुम स्वीकार करो मेरी पूजा तुम स्वीकार करो हृदय में बिराजो आ कर राम।। तुमने ऐसा संसार रचासुख-दु:ख के मेले में उलझाकण-कण में बिराजो आकर राम।। पल-पल हर पल तेरा नाम जपूँ आजीवन नाम तेरा सिमरूँ साँसों में बिराजो

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भजन- मेरे श्री राम

भजन- मेरे श्री राम वचन निभाते मेरे श्री राम।वनवास भी जाते मेरे श्री राम। जन-जन को भाते मेरे श्री राम। गुरु मान बढ़ाते मेरे श्री राम। विष्णु अवतारी मेरे श्री राम। महिमा भी न्यारी मेरे श्री राम। ताड़का भी मारी मेरे श्री राम। दुश्मन पर भारी मेरे श्री राम। शबरी उद्धारक मेरे श्री राम।रावण संहारक

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भरत मिलाप

भरत मिलाप प्रभु श्री राम कीयाद में काट तो लियाभरत ने चौदह वर्ष का वनवास । आने की खबर सुनभरत को अब एक-एक पल लगें चौदह वर्ष समान । लिया प्रण भरत ने कित्याग दूंगा प्राण अगरप्रभु ने देर की अब। तभी हनुमंत प्रकट हुए और बोले ….जिनके विरह में तडपते है दिन-रात आपवो प्रभु

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सुर-ताल

सुर-ताल साध अनुपम हनुमान गा रहे हैं।सजी’ दीपमय अयोध्या श्री राम आ रहे हैं।। जो निषंग चाप सायक हैं दिनेश वंश मण्डन।सिय वाम सँग शोभा अभिराम पा रहे हैं।‌। महिमा अमित विशाला भुजबल अतुल कराला।लछमण जी पीछे-पीछे सम शेष भा रहे हैं।। अविराम अश्रुपूरित करबद्ध हैं भरत जी।श्री राम की चरण रज मस्तक लगा रहे

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