भरत
राज महल के सुख को त्यागाभ्राता की चरण पादुका पूजा।इस धरती पर भरत समानजन्मा नहीं कोई भाई दूजा।। चौदह वर्षों तक किया भूषितवस्त्रों वा मुकुट का परित्याग।चरण पादुका की पूजा करकेधारण किया सदा वैराग्य।। धरती पर ही सोये सदाबिस्तर का भी किया था त्याग।कंदमूल फल खाये हरदमअन्न का भी किया था त्याग।। राम लौट जब […]