है प्रभु अंतर्मन में अवगुण हमारे,
प्रभु हाथ पकड़ लो ले लो तिहारे ।।
जग पालनहार क्यों देर किए हो।
मेरे हिय पट में तुम आन बसे हो।।
पत्थर बने अहिल्या को पल में है तारे।
निषाद सुग्रीव विभीषण मित्र हैं सारे।।
प्रभु अंतर्मन में अवगुण हमारे,
प्रभु हाथ पकड़ लो ले लो तिहारे ।
मैं मानव हूँ दर्शन दो कृपानिधि।
जप तप पूजा न जानूं दयानिधि।।
पतित को पावन करते कृपानिधि।
भव सिंधु पार लगाओ दयानिधि।।
पाप जो किये हैं तन मन के सहारे।
प्रभु पाप विमोचन कर दो हमारे।।
है प्रभु अंतर्मन में अवगुण हमारे।
प्रभु हाथ पकड़ लो ले लो तिहारे।।
अज्ञानी कामी अपावन हम हैं।
मोह माया से घिरे हुए हम हैं।
जैसे हरिहर के हिय में राम हमारे।
वैसे ही आन बसों जग तारणहारे।।
मैं क्या अपर्ण करूँ सब है तुम्हारे।
आरत वाणी राम रतन तुम्हे पुकारे।।
है प्रभु अंतर्मन में अवगुण हमारे।
प्रभु हाथ पकड़ लो ले लो तिहारे ।।
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राम रतन श्रीवास “राधे राधे”
बिलासपुर छत्तीसगढ़