राम तुम्हारे आने से

राम तुम्हारे आने से ,
सृष्टि को स्वरूप मिला।
जो बोझिल हो रही थी धरती ,
उसका भी रंग- रूप खिला।


बागों में कोयल कूके,
क्यारियों में फूल खिले।
पंछियों से भर गया है अम्बर,
कोलाहल दिनमान रहा।
राम तुम्हारे आने से,
सृष्टि को स्वरूप मिला।

माँ कौशल्या मुस्काये,
बाबा दशरथ दुलारते।
राजभवन में छाया मंगल,
अम्बर से भी फूल झरे।
राम तुम्हारे आने से,
सृष्टि को स्वरूप मिला।

अवध की गलियाँ महकी,
सरयू की धारा ठुमकाये।
नाच रही है सारी जनता,
मन अंतर चहकने लगे।
राम तुम्हारे आने से,
सृष्टि को स्वरूप मिला।