August

कौशल्या माई

कौशल्या माई हे कौशल्या माई , तेरी महिमा अपरम्पार तेरी कृपा से ही तोजग में आए तारणहार | राजा दशरथ की तुम पटरानी तेरी कीर्ति जग में महान पा वरदान तुमने ऋषि से अद्भुत, अलौकिक जग को दिया संतान | जगतजननी हे माता, तुम्हे प्रणाम बारम्बार हे कौशल्या माई, तेरी महिमा अपरम्पार || पड़ी विपदा […]

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श्रीराम से प्रार्थना

श्रीराम से प्रार्थना हे दुःख भंजन, हे रघुनन्दन!करूँ मैं विनती बारम्बार।उल्टा नाम जपा डाकू ने,भव सागर से पार किया।चरण धूलि को देकर अपने,पाहन का उद्धार किया।दरशन देदो अब तो मुझको,ओ जगत के पालनहार।करूँ मैं विनती बारम्बार।राज तिलक कर दानव का,लंका राज दिया उसको।चरणामृत लेकर केवट ने,तारा था पुरखों कोतुम तो सबके जगत पिता हो,हे जग

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राम नाम की महिमा

जय श्रीराम जय श्रीरामजयश्रीराम राम जय श्रीरामराम नाम की महिमा बजरंग चौबीस घंटे गाते ।राम का नाम बड़ा राम से दुनियाँ को दिखलाते ।राम का नाम जपा करे बजरंग निशदिन आठो याम ‘ ।राम नाम लिखे पत्थर से सागर मे सेतु बनाते ।रोम रोम में राम समाये सीना चीर दिखाते ।हृदय बना बजरंग का देखो

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राम

राम , हर मानव को धर्म सिखाते वो हैं राम सारी सृष्टि के संचालक वो हैं राम जन जन के हैं जो पालक वो हैं राम जन जन के मन को जो भाते वो हैं राम, हनुमत जिनका हैं गुण गाते वो हैं राम I जिनका मैंने है गुण गाया वो हैं राम, जिनका कोई

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सीता हरण

सीता हरण बना भेष,भिक्षुक का देखो, दानवराज है आया।सीता मैया को हरणे , रावण ने स्वांग रचाया।मन में छल,मुख पर शीलता लिए, पहुंचा सिया के द्वार।भिक्षां देहि ,के करूण स्वर से ,करने लगा पुकार।द्वार पर आयी मैया लेकर अन्न,दान में देने।बिनती की भिक्षुक से, आकर भिक्षा यही पर लेले।क्रोध दिखाने लगा ऋषि पाखंडी ,कहा मैं,

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अनुपम छवि अवधकिशोर की

अनुपम छवि अवधकिशोर की********* अनुपम छवि अवधकिशोर की।मनमोहिनी सुरत अति मनभावन,मोही उर वसी कौशल्या लाल की।घुटुरुनि चलत मृदा हस्त लिए,हाथ उठाई खिलावे राम जी।।लटें लटके घुघुराली मुख ऊपर, जैसे रवि धापें श्याम बदरी।मुख खोलत चमकें दन्तावली,जैसे घन बीच चमकें दामिनी।।नृप दसरथ चब पकड़न जाए, ठुमुकी – ठुमुकी भागे रामजी।दधि – भात खिलाने जब माता आए,रोदन

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आज सखी घर राम पधारे।

आज सखी घर राम पधारे। नाच रहे नर नागर सारे।। जीवन में खुशियाँ भर आई। मंगलगान करें सब जाई।। दृश्य मनोहर राम दुआरे। आँसुन तै पग धोहहिं सारे।। राम छुए हर एक निवासी। आज हुए खुश हैं पुरवासी।।   मानव सिंह राणा ‘सुओम’

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रघुवीर पग द्वार पर पड़ते खिली कलियां यहां।

रघुवीर पग द्वार पर पड़ते खिली कलियां यहां।जग झूमता पर दीप से सजता,करें झिलमिल जहां।।खुशियां लिए नर नेह ज्योति तले जरा इतरा रहे।वनवास से भगवान राम पुरी अभी बस आ रहे।। दशकंध का वध जीत सिंहल देश दे रहते यहां।रघुवीर पग द्वार पर पड़ते खिली कलियां यहां।। खग झूमते खिलती कली चहुंओर है खुशियां बड़ी

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भरत राम लक्ष्मण दिया तेल बाती

भरत राम लक्ष्मण दिया तेल बातीइन्हीं से प्रखर शत्रुहन्ता प्रभाती ये कुल सूर्य के संग्रहित तेज का हैये ब्रह्माण्ड में सत् अखिल ओज का हैयहाँ सृष्टि के नत सभी हैं प्रभारीयहाँ दण्डवत हैं पुरारि सुखारी यहाँ पितृ सत्ता में माता हैं शक्तिसभी के हृदय में है वात्सल्य भक्तियहाँ लोकहित का ही बस ध्यान होगायहाँ विश्व

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राम बनना आसान नहीं है।

राम बनना आसान नहीं है। विधि ने था ज़ब रंग दिखाया महलों से वनवास दिलाया।सिंहासन को त्याग उसी पल वनगमन आसान नहीं है।राम बनना आसान नहीं है । पिता का वचन निभाने कोवल्कल पहन चला वन को पितृभक्त ऐसा बनना इतना भी आसान नहीं है ।राम बनना आसान नहीं है । माँ की ममता छोड़ी

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