August

श्री राम

1राम खड़ाऊँ भरत घर लाए मन हर्षाए   2 राज तिलक हुआ राम का जब हर्षाए सब   3 समुद्र पे पुल बाँध गए हैं नल हे राम चल   4 सदा तत्पर परमार्थ करते राम आतुर   5 पंपासुर में मिले हनुमान से लगाया गले   6 देख देख के राम की अंगूठी को […]

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जय श्री राम।

जय श्री राम। 1* इच्छवाकु वंश रघुकुल दशरथ,नृप अयोध्या के थे समरथ,रानी कौशल्या की गोद में,राजभवन पुलकित अमोद मेंप्रगट भये कैकयी के राम,दसों दिशा है जिनका नाम,जय श्रीराम जय श्रीराम………….. 2*वय केवल थी आठ बरस की,गुरु वशिष्ठ के आये काम,दुष्ट आचरण दानव मारे,सुर देवों ने किया प्रणाम,जय श्रीराम जय श्रीराम…. 3* राम भरत अरु लखन

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सुंदरकांड के प्रथम तीन श्लोक

सुंदरकांड के प्रथम तीन श्लोक को मत्तगयंद सवैया में ढालने का प्रयास। -1-आप अमाप, अनंत,सनातन,शान्त करें मन मोक्ष प्रदाता।सेवित हैं विधि,शेष, महेश्वर,वेद विधान जिन्हें पढ़ पाता।हैं परमेश्वर, हैं सुर के गुरु, मानव रूप महान विधाता।हे!करुणाकर,हे! जगदीश्वर, वंदन मैं कर शीश नवाता।। -2-कथ्य कहूँ सब सत्य सियावर,अन्य अभीष्ट नहीं मन मेरे।भक्ति वरो निज सेवक को प्रभु,काम

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— आल्हा छंद —

— आल्हा छंद — राम नाम का प्यारा भाषी,जग में अपनी अलख जगाय।राम राम को रटते रटते,भव सागर को पार लगाय।। राम सत्य है राम हि ईश्वर,राम नाम की महिमा जान।तर गय भोले भाले मानव,पाकर तुलसी सा सम्मान।। राम ने शिव कि अलख जगाई,शिव ने राम हि पूजा रोज।सत्य सनातन भाव अनादी,सास्वत कौन यहाँ है

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भगवान श्री राम (अमृत ध्वनि छन्द )

भगवान श्री राम (अमृत ध्वनि छन्द ) अमृत से भी दिव्य हैं,मेरे प्रभु श्री राम।इनके नित गुणगान से,बनते सारे काम।।बनते सारे काम,राम जी,ज़न हितकारी ।महाकृपाला ,दीनदयांला, मंगलकारी।।प्रेमनिष्ठ प्रिय,सज्जन के हिय,राम सत्यकृत।इनको जानो,परम अलौकिक,अज मधु अमृत।। अमृत जैसे बोल हैं,अमृतमय मुस्कान।हाव भाव अति सरल है,स्वयं ब्रह्म भगवान।।स्वयं ब्रह्म भगवान,नाम है,सारे जग में।हैं अविनाशी,प्रिय शिव काशी,दामिनि पग

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श्रीराम जीवनचरित

श्रीराम जीवनचरित जन्में दशरथ लाल,नगर में खुशियां छाई। मुदित हुए सब लोग, द्वार पर बजे बधाई। खुशी मनाते देव, लगे दुंदुभी बजाने। तरस रहे हैं इन्द्र,दरस को रघुवर के पाने ।।1।। आये अवध किशोर,फूल चुनने को उपवन। सीता आयीं आज ,मात गौरी के पूजन। देख कुंज की ओट,राम छबि हृदय समायी। अपलक रहीं निहार,सिया सुधि

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महाबली हनुमान

महाबली हनुमान जय जय जय अंजनी कुमार, जय जय जय वीर हनुमान lजय जय जय पवन कुमार l1l तुम हो राम के प्यारे, तुम हो माता सीता के दुलारे lअंजनी माँ के आँख के तारे l2l मंगलऔर शनि का दिन प्रिय लगे, लड्डूवन का भोग लगे lछुटकी भर सिंदूर मन मोहे l3l, सिया राम के

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जन जन में है हर्ष अपार,बनने लगा है श्रीराम का धाम,

गीत- जय जय राम, जय श्री राम गीतकार:-छगनलाल मुथा-सान्डेराव “****”**”****” जन जन में है हर्ष अपार,बनने लगा है श्रीराम का धाम,सब मिल गाओ मंगल गान,जय जय राम,जय श्रीराम। बरसो से जिसका था इन्तजार,वो मन्दिर बन रहा महान,सारा जग आयेगा राम के गांव,जय जय राम, जय श्री राम। अयोध्या की अब नई पहचान,दुनिया ढुंढे गुगल में

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मिलता है मन को आराम।

केवल जिनके सुमिरन से ही,मिलता है मन को आराम।क्या तेरे क्या मेरे वे हैं,सबके घट-घट वासी राम॥ राम-रमापति जपता जा तू,क्यूँ घबराता है नादान।वे सारे जग के स्वामी हैं,वे रखते हैं सबका ध्यान॥ सबकुछ उन पर छोड़ो प्यारे,कर्म किये जाओ निष्काम।क्या तेरे क्या मेरे वे हैं,सबके घट-घट वासी राम॥ और भला क्या माँगू तुमसे,बस इतना

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