कौशल्या माई

कौशल्या माई


हे कौशल्या माई ,
तेरी महिमा अपरम्पार
तेरी कृपा से ही तो
जग में आए तारणहार |

राजा दशरथ की तुम पटरानी
तेरी कीर्ति जग में महान
पा वरदान तुमने ऋषि से
अद्भुत, अलौकिक जग को दिया संतान |

जगतजननी हे माता, तुम्हे प्रणाम बारम्बार
हे कौशल्या माई, तेरी महिमा अपरम्पार ||

पड़ी विपदा जब अयोध्या पर
खड़ी हो गयी तू बनके ढाल
ऋषि, पितृ देवगण सहित
अपने कुल को लिया संभाल |

राम नाम संग जो तुम्हे सुमरे, हो जऐ उसका बेड़ापार
हे कौशल्या माई , तेरी महिमा अपरम्पार ||

राम ,सीता लक्ष्मण संग जब निकले
खड़ाऊ, वल्कल पहन वनवास
धैर्य रख कोमल हृदय से
दिया तुमने दशरथ का साथ |

कौशल्या थी धैर्य की मूर्ति
वनआगमन को किया स्वीकार
चौदह बरस की कठोर प्रतीक्षा
करती रही ना मानी हार ||

जबतक है धरती गगन , तेरी माँ हो जय- जयकार
हे कौशल्या माई,तेरी महिमा अपरम्पार ||

रचनाकार :

रितु दीक्षित ( वाराणसी)