राम ,
हर मानव को धर्म सिखाते वो हैं राम
सारी सृष्टि के संचालक वो हैं राम
जन जन के हैं जो पालक वो हैं राम
जन जन के मन को जो भाते वो हैं राम,
हनुमत जिनका हैं गुण गाते वो हैं राम I
जिनका मैंने है गुण गाया वो हैं राम,
जिनका कोई पार न पाया वो हैं राम I
मुझ पर सदा कृपा बरसाते वो हैं राम,
मेरी नैया पार लगाते वो हैं राम I
चूक कोई हो छमा मुझे बस करना राम ,
अपने प्रेम से झोली मेरी भरना राम I
राम राम जय राम राम जय सीता राम I
राम राम जय राम राम जय सीता राम II
(स्वरचित रचना)
भानु प्रताप सिंह तोमर
आगरा, उत्तर प्रदेश
संपर्क : 9289155501