राम
राम , हर मानव को धर्म सिखाते वो हैं राम सारी सृष्टि के संचालक वो हैं राम जन जन के हैं जो पालक वो हैं राम जन जन के मन को जो भाते वो हैं राम, हनुमत जिनका हैं गुण गाते वो हैं राम I जिनका मैंने है गुण गाया वो हैं राम, जिनका कोई […]
राम , हर मानव को धर्म सिखाते वो हैं राम सारी सृष्टि के संचालक वो हैं राम जन जन के हैं जो पालक वो हैं राम जन जन के मन को जो भाते वो हैं राम, हनुमत जिनका हैं गुण गाते वो हैं राम I जिनका मैंने है गुण गाया वो हैं राम, जिनका कोई […]
सीता हरण बना भेष,भिक्षुक का देखो, दानवराज है आया।सीता मैया को हरणे , रावण ने स्वांग रचाया।मन में छल,मुख पर शीलता लिए, पहुंचा सिया के द्वार।भिक्षां देहि ,के करूण स्वर से ,करने लगा पुकार।द्वार पर आयी मैया लेकर अन्न,दान में देने।बिनती की भिक्षुक से, आकर भिक्षा यही पर लेले।क्रोध दिखाने लगा ऋषि पाखंडी ,कहा मैं,
अनुपम छवि अवधकिशोर की********* अनुपम छवि अवधकिशोर की।मनमोहिनी सुरत अति मनभावन,मोही उर वसी कौशल्या लाल की।घुटुरुनि चलत मृदा हस्त लिए,हाथ उठाई खिलावे राम जी।।लटें लटके घुघुराली मुख ऊपर, जैसे रवि धापें श्याम बदरी।मुख खोलत चमकें दन्तावली,जैसे घन बीच चमकें दामिनी।।नृप दसरथ चब पकड़न जाए, ठुमुकी – ठुमुकी भागे रामजी।दधि – भात खिलाने जब माता आए,रोदन
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आज सखी घर राम पधारे। नाच रहे नर नागर सारे।। जीवन में खुशियाँ भर आई। मंगलगान करें सब जाई।। दृश्य मनोहर राम दुआरे। आँसुन तै पग धोहहिं सारे।। राम छुए हर एक निवासी। आज हुए खुश हैं पुरवासी।। मानव सिंह राणा ‘सुओम’
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रघुवीर पग द्वार पर पड़ते खिली कलियां यहां।जग झूमता पर दीप से सजता,करें झिलमिल जहां।।खुशियां लिए नर नेह ज्योति तले जरा इतरा रहे।वनवास से भगवान राम पुरी अभी बस आ रहे।। दशकंध का वध जीत सिंहल देश दे रहते यहां।रघुवीर पग द्वार पर पड़ते खिली कलियां यहां।। खग झूमते खिलती कली चहुंओर है खुशियां बड़ी
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भरत राम लक्ष्मण दिया तेल बातीइन्हीं से प्रखर शत्रुहन्ता प्रभाती ये कुल सूर्य के संग्रहित तेज का हैये ब्रह्माण्ड में सत् अखिल ओज का हैयहाँ सृष्टि के नत सभी हैं प्रभारीयहाँ दण्डवत हैं पुरारि सुखारी यहाँ पितृ सत्ता में माता हैं शक्तिसभी के हृदय में है वात्सल्य भक्तियहाँ लोकहित का ही बस ध्यान होगायहाँ विश्व
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राम बनना आसान नहीं है। विधि ने था ज़ब रंग दिखाया महलों से वनवास दिलाया।सिंहासन को त्याग उसी पल वनगमन आसान नहीं है।राम बनना आसान नहीं है । पिता का वचन निभाने कोवल्कल पहन चला वन को पितृभक्त ऐसा बनना इतना भी आसान नहीं है ।राम बनना आसान नहीं है । माँ की ममता छोड़ी
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🙏🏻🌹 जय श्री राम🌹🙏🏻 राम नाम की ओढी चादर, हृदय सिंघासन बना दिया, बैठाया है प्रभु श्री राम को, जीवन सफल बनाया है। हुईं अकेली मैं जीवन में, प्रभु को मित्र बना लिया, बातें करतीं हरदम उनसे, उनकों सब कुछ मान लिया। पाठ करूँ हनुमान चालीसा, करूँ प्रार्थना बजरंग बली से, जैसे हृदय प्रभु श्री
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श्री राम भक्त श्री हनुमान———————————————————— अंजनि पुत्र पवनसुत हैं वो रामायण के प्रमुख पात्र ,दोस्ती ख़ूब निभाई आपने रामचन्द्र जी के सुमित्र, सुपात्र। आपने ही तो रामचंद्र को वीर सुग्रीव से मिलवाया,शक्ति लगी जब लक्ष्मण जी को राम जी का दिल भर आया। पर वैद्यराज ने हिमालय पर्वत से संजीवनी की जरूरत बतलाई,सूर्योदय से पहले
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क्या है कोई मेरे प्रभु जैसा जहान में,हैं सर्वोपरि वह तो महनों में महान हैं। कहलाते मर्यादा पुरुषोत्तम,प्रतीक प्रेम के वो अति उत्तम ,धर्म-कर्म है कौन सा जिसमें मेरे राम नहीं है सर्वोत्तम ।क्या कोई तीनो लोक में उनके समान है।हैं वो सर्वोपरि वह तो महानों में महान हैं। सीता सुकुमारी कोमल सी कली ,जनक
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