2025-01

रामजी की महिमा अपार

हम उनको नमन और वंदन करते, कोटि कोटि अभिनंदन करते, जो लाए अयोध्या में बहार, राम जी की महिमा अपार _ध्यान नही उन पर था किसी का, न ही ठिकाना था प्रभु राम का, भक्तों को दिखाया चमत्कार,राम जी की महिमा अपार __कितने बरस तंबू में गुजारे, अच्छे दिवस की राह निहारे, रामजी जब पहुंचे […]

रामजी की महिमा अपार Read More »

सबके अपने अपने राम

(आल्हा छंद) मुल्ला पंडित सिक्ख मसीहा, नाना पंथ अनेकों नाम। सभी धर्म का मूल एक है, किंतु सभी के अपने राम॥ हर रजकण में राम व्याप्त हैं, राम नाम सुन्दर सुखधाम।सदा विराजें अंतस् तल में, करते हैं मंगल अविराम॥ सृष्टि नियामक रघुपति राघव, पूज्यमान जो हैं हर ग्राम॥निशाचरों को मार गिराये, किये राम भीषण संग्राम॥

सबके अपने अपने राम Read More »

जानकी की करुण व्यथा

जानकी सोचती वाटिका में खड़ी।नाथ तुमको पता क्या कहां मैं खड़ी? ढूंढते ढूंढते थक न जाना प्रभो।राह तकते नयन रात दिन, हर घड़ी।। भूख लगती नहीं, प्यास बुझती नहीं।आज़ अंतस लगे फांस जैसे गड़ी।। साथ रघुनाथ के शूल भी पुष्प हैं।काल लंका बनी है रत्न से जड़ी।। खेल विधना रचाई फंसी मीन सी।कर रही थी

जानकी की करुण व्यथा Read More »