र’’आ’ ‘म’ के शब्द तीन हैं सुन्दर
र’’आ’ ‘म’ के शब्द तीन हैं सुन्दर ,ब्रह्मा विष्णु शिवरूप से बनकर ।दशरथ कौशल्या अंक आए रघुराई, अवध कुंवर से रघुकुल शोभा बढ़ आयी।” खल दुष्ट जब अति बढ़ते जाते ,चोर लम्पट न रुक पाते ,मातपिता देव तुल्य न रहते ,साधु भी न आदर पाते । अधर्म का जब वर्चस्व होता ,धर्म का ह्रास था […]
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