राम स्तवन
भक्तवत्सल राम राघव, दुश्मनों का नाश कर दो।हो धरा खुशहाल अब तो,शांति अरु सद्भाव भर दो॥ताड़का का वध करो अब,शांति का सोपान धर दो।कष्टकारी शक्तियों का, मूल से अब नाश कर दो॥ अब धरा पर पाप का नित,बोझ बढ़ता जा रहा है।झूठ का है बोलबाला, सत्य मुँह की खा रहा है॥शांति गायब है घरों से, […]