राम स्तुति
जग के तारन हार मेरे राम जी
करुणा का भंडार मेरे राम जी
दशरथ नंदन जब जन्मे थे
नगर अयोध्या सब हरषे थे
नज़र उतारे कैकयी मैया
हिय हरषे कौशल्या मैया
करें शृंगार सुमित्रा मैया
जीवन का उपहार मेरे राम जी
जग के तारनहार मेरे रामजी
सीता को जब ब्याह कर लाए
नयन जनक के भर भर आए
मात सुनयना समझ न पाए
बेटी को कैसे समझाएं
पीड़ा उनकी देख देख के
रोकें अश्रु धार मेरे राम जी
करुणा का भंडार मेरे राम जी
सिर्फ पिता के वचन की खातिर
राजपाट सब कुछ ठुकराया
हँसते हँसते वन को जाते
पल भर भी आक्रोश न आया
उबड़ खाबड़ कंटक वन में
चंदन पारावार मेरे राम जी
जग के तारनहार मेरे राम जी
जब रावण ने घात लगाई
कपट वेश धर सिया चुराई
हनुमान सीता सुधि लाए
सुनकर रघुवर नीर बहाएं
तब फिर सागर को ललकारा
लगते तब अंगार मेरे राम जी
जग के तारनहार मेरे राम जी
पहले असुरों को समझाया
हाथ जोड़़कर बहुत मनाया
जब असुरों ने बात न मानी
पल भर भी फिर रहम न खाया
धुंआधार फिर बाण चलाते
शक्ति का भंडार मेरे राम जी
जग के तारनहार मेरे राम जी
जो भी प्रभु की शरण में आता
सब संकट से मुक्ति पाता
मन से जो भी ध्यान लगाए
रोता आए हँसता जाए
राम नाम का जाप करें जब
करते चमत्कार मेरे राम जी
जग के तारनहार मेरे राम जी
सरिता गुप्ता
लेखिका, कवयित्री, शिक्षिका
सी- 764 एलआईजी फ्लैट्स
ईस्ट ऑफ लोनी रोड
शाहदरा
दिल्ली -93